दिल्ली (Delhi) में कोरोना की बेकाबू हो रही रफ्तार की वजह से मरने (Death) वालों का आंकड़ा भी लगातार बढ़ रहा है. राजधानी में कोरोना संक्रमण (Covid Infection) से इतनी जानें जा रही हैं, कि श्मशान घाट और कब्रिस्तान में मृतकों के परिजनों को अंतिम संस्कार (Funeral) और दफनाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
निमगबोध घाट पर टीवी9 भारतवर्ष की पड़ताल में पता चला है कि नवंबर में श्मशान घाट (Graveyard) के हालात भी खराब हैं, यहां हर दिन 20 से 22 शव (Dead Body) हर दिन पहुंच रहे हैं. दिल्ली में जैसे-जैसे शवों की संख्या बढ़ रही है, श्मशान घाट और कब्रिस्तान के ऊपर भी दबाव बढ़ता जा रहा है. TV9 भारतवर्ष की टीम को पता चला कि नवंबर महीने में, खासकर दिवाली के बाद हालात बद से बदतर हो चुके हैं. 1 नवंबर के बाद से निगमबोध घाट पर रोजाना 20 से 22 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं.
दिवाली के बाद से श्मशान घाट पर बढ़ी शवों की तादाद
राजधानी दिल्ली में पिछले 18 दिनों में एक लाख से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं, तो वहीं संक्रमण की वजह से मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. सिर्फ नवंबर महीने में अब तक 1530 लोगों की वायरस संक्रमण से मौत हो चुकी है, जिसके साथ ही कुल मौतों का आंकड़ा 8041 पहुंच चुका है.
श्मशान घाट के कर्मचारियों के मुताबिक सितंबर-अक्टूबर महीने में हालात थोड़े ठीक हुए थे, इस दौरान निगमबोध घाट पर कोरोना के हर दिन करीब 7 से 10 शव पहुंच रहे थे. लेकिन नवंबर महीने में, खासकर दिवाली के बाद हालात बद से बदतर हो चुके हैं.
दिवाली के बाद के आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोना संक्रमण के अलावा सामान्य शवों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. 16 नवंबर को निगम बोध घाट पर कुल 116 शव दाह संस्कार के लिए पहुंचे, जिसमें से 20 शव कोरोना के मरीजों के थे. वहीं 17 नवंबर को कुल 94 शव वहां पहुंचे, जिनमें कोरोना से मरने वालों के कुल 20 शव थे.
14 अप्रैल को निगमबोध घाट पहुंचा पहला कोरोना का शव
18 नवंबर को निगमबोध घाट पर 95 शव दाह संस्कार के लिए पहुंचे, जिनमें 21 शव कोरोना संक्रमित थे, वहीं 19 नवंबर को भी 21 कोरोना मरीजों के शव अंतिम संस्कार के लिए घाट पर पहुंचे. कोरोना का पहला शव 14 अप्रैल को घाट पर आया था, उसके बाद जून-जुलाई महीने में कोरोना के पीक टाइम में रोजाना वहां करीब 20 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे थे.
निगमबोध घाट के सुपरवाइजर अवधेश शर्मा ने कहा कि अंतिम संस्कार के लिए आने वाले कोविड के ज़्यादातर मरीजों की उम्र 55 से 80 साल के बीच है. उन्होंने कहा कि घाट पर CNG से अंतिम संस्कार करने के लिए 6 CNG प्लेटफार्म हैं, जिनमें अभी सिर्फ तीन ही काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब शवों की संख्या ज़्यादा होती है, तो लकड़ी के जरिए अंतिम संस्कार किया जाता है, जिसके लिए निगमबोध घाट प्रशासन ने करीब 50 लकड़ी के प्लेटफार्म रिजर्व कर रखे हैं.
LNJP अस्पताल से हर दिन श्मशान जा रहे 8-10 शव
एलएनजेपी अस्पताल के शव गृह से शवों को एंबुलेंस के जरिए श्मशान घाट पहुंचाने का काम देख रहे मोहसिन ने कहा कि अक्टूबर महीने में रोजाना 3-4 शव एलएनजेपी अस्पताल के शव गृह से निगमबोध घाट पहुंच रहे थे, लेकिन अब नवंबर में भी रोजाना 8 से 10 शव निगमबोध घाट पर पहुंच रहे हैं.
नवंबर महीने में अब तक 90 से 95 कोरोना मरीजों के शव एलएनजेपी अस्पताल से अंतिम संस्कार के लिए ला चुके हैं, अक्टूबर में यह आंकड़ा 40 के करीब था. वहीं दूसरी तरफ शवों की संख्या ज्यादा होने की वजह से मृतकों के परिजनों को एंबुलेंस के लिए 3 से 4 घंटे का इंतजार भी करना पड़ रहा है.