कोरोना काल के ठहराव के बाद अब उत्तराखंड सरकार सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर सख्त कदम उठाने की तैयारी में है। पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसकी नियमावली करीब-करीब तय कर ली है। यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में आएगा।
बोर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक सिंगल यूज प्लास्टिक की रोकथाम के लिए विस्तृत दिशा निर्देेश तैयार किए गए हैं। मौजूद व्यवस्था में खासे झोल हैं। अपील की व्यवस्था नहीं है और यह भी स्पष्ट नहीं है कि किस प्लास्टिक को किस तरह से प्रतिबंधित किया जाएगा।
इसी तरह जुर्माने की व्यवस्था पर भी तस्वीर साफ नहीं है। बोर्ड ने इन सब मामलों को देखते हुए व्यापक स्तर पर तैयारी की है। बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक मामला कैबिनेट में आएगा और उसमें जुर्माने की दर से लेकर अधिकारियों की जिम्मेदारी, अधिकार आदि तय किया जा सकता है। बोर्ड के सचिव एसपी सुबुद्धि ने नियमावली तैयार किए जाने की पुष्टि की है।
क्या है योजना
1. प्रतिबंधित प्लास्टिक : प्रकार तय होगा। बोर्ड का मानना है कि हर तरह के प्लास्टिक को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। बोर्ड के निशाने पर सिंगल यूज प्लास्टिक है और इसको पूरी तरह से परिभाषित किया जाएगा।
2. जुर्माना : प्लास्टिक के उपयोग को लेकर हर किसी पर समान दर से जुर्माने से किनारा किया जाएगा। अब यह तय जाएगा कि निर्माता पर भी खासा जुर्माना लगेगा। इसके बाद थोक विक्रेता पर भी जुर्माना लगेगा। दुकानदार भी जुर्माने की जद में आएगा और इसके बाद फुटकर विक्रेताओं और आम आदमी पर भी जुर्माना लगेगा। सबसे अधिक जुर्माना निर्माता और सबसे कम आम आदमी पर होगा।
3. अपील की व्यवस्था : बोर्ड का मानना है कि नियमों के दुरुपयोग के कारण किसी को नुकसान न हो, इसके लिए अपील की व्यवस्था भी होगी। यह अपील एक स्तर ऊपर के अधिकारी की भी हो सकती है। इसके लिए जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक की शिकायत, निरीक्षण और अपील की व्यवस्था होगी।
4. क्षेत्र और दायित्व निर्धारण : यह भी नियमावली का खास हिस्सा होगा। मसलन जिलों में इन नियमों का पालन कराने में जिलाधिकारी को जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके साथ पुलिस अधीक्षक और प्रभागीय वन अधिकारी या डीएफओ भी जिम्मेदार होंगे। इनके क्षेत्र का स्पष्ट रूप से निर्धारण किया जाएगा ताकि भविष्य में विवाद की स्थिति पैदा न हो।