कभी हंसता-खिलखिलाता, समृद्ध संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत से भरा ग़ाज़ा शहर अब मलबे और खामोशी में तब्दील हो चुका है। इजरायली सेना की ताज़ा कार्रवाईयों ने इस ऐतिहासिक शहर के नामोनिशान को मिटा देने की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ा दिया है। 45 वर्ग किलोमीटर में फैले इस शहर को अब पूरी तरह खाली कराया जा रहा है।
ग़ाज़ा पट्टी का सबसे बड़ा शहर — ग़ाज़ा सिटी, जो कभी लाखों लोगों की ज़िंदगियों का केंद्र था, आज मिट्टी में मिलता जा रहा है। अनुमानित 8.23 लाख की आबादी वाला यह शहर बहुमंजिला इमारतों, बाज़ारों, स्कूलों, अस्पतालों और धार्मिक स्थलों से भरा हुआ था। यहां की तंग गलियों में भी जिंदगी मुस्कुराती थी, त्योहारों की रौनक थी, और समुद्र किनारे छुट्टियों की चहक थी। लेकिन अब इन सबकी जगह ख़ौफ़, खामोशी और खून के धब्बों ने ले ली है।
7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले में 1,200 से अधिक लोग मारे गए और 250 से अधिक बंधक बना लिए गए थे। इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर अब तक की सबसे भीषण सैन्य कार्रवाई शुरू की, जो लगभग डेढ़ साल से जारी है। अब इजरायली सेना का लक्ष्य है — ग़ाज़ा सिटी को पूरी तरह खाली कराना, ताकि हमास के बचे हुए ठिकानों को जड़ से उखाड़ा जा सके। लेकिन इसके साथ ही एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक शहर भी इतिहास के पन्नों से मिट रहा है।
तीन साल पहले तक ग़ाज़ा शहर में ज़िंदगी इजरायली नाकेबंदी और आर्थिक प्रतिबंधों के बीच भी मुस्कुराती थी। यहां त्योहारों, शादियों, और सामुदायिक उत्सवों की धूम थी। महिलाएं पारंपरिक गीत गाती थीं, बाज़ार रात तक खुले रहते थे, और समंदर किनारे पिकनिक मनाने वालों की भीड़ लगी रहती थी। शहर के रेमल मोहल्ले की प्रतिष्ठा, शेजाया की गलियां, और ग़ाज़ा की महिलाएं जिनकी कशीदाकारी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थी — अब ये सब धीरे-धीरे अस्तित्व से मिटते जा रहे हैं।
ग़ाज़ा शहर में शिक्षा का स्तर मध्य-पूर्व के कई देशों से बेहतर माना जाता था। 98% पुरुष और 93% महिलाएं साक्षर थीं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित दर्जनों स्कूलों में हज़ारों बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, लेकिन अब स्कूल मलबे में दब चुके हैं और बच्चे पलायन कर चुके हैं। पारंपरिक कला, हस्तशिल्प और मस्जिदें — सब या तो नष्ट हो चुकी हैं या खतरे में हैं। हमास के साथ हुए अस्थायी संघर्षविराम के बाद लोग जैसे-तैसे अपने घरों को लौटे थे, लेकिन अब फिर से पलायन शुरू हो गया है। इजरायली टैंकों की गड़गड़ाहट और ड्रोन की गर्जना के बीच ग़ाज़ा के निवासी एक बार फिर अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं।
इजरायल की मंशा ग़ाज़ा को “हमास मुक्त” करना है, जबकि कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल (रिविएरा) में बदलने की भी योजना की ओर संकेत दिया था।
