
चारधाम यात्रा अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। आज सुबह 11:30 बजे गंगोत्री धाम में मां गंगा मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए विधिवत रूप से बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के दौरान पूरा धाम ‘जय मां गंगे’ के जयकारों से गूंज उठा। मां गंगा की उत्सव डोली अब अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव के लिए रवाना होगी, जहां सर्दियों में मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाएगी।
वहीं, भैयादूज (23 अक्तूबर) को यमुनोत्री धाम में मां यमुना मंदिर के कपाट दोपहर 12:30 बजे शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। इसके बाद मां यमुना की उत्सव मूर्ति के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास खरसाली गांव में होंगे।
धार्मिक परंपरा के अनुसार, कार्तिक माह की अन्नकूट (गोवर्धन पूजा) के दिन मां गंगा की उत्सव डोली मुखबा गांव के लिए प्रस्थान करेगी। स्थानीय व्यापारी आशीष सेमवाल और विनय उनियाल का कहना है कि सर्दियों में भी गंगा और यमुना के शीतकालीन पड़ाव वाले मुखबा और खरसाली गांवों तक तीर्थयात्रा जारी रखी जा सकती है, जिससे देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु बर्फबारी के बीच देवदर्शन का अनुभव कर सकेंगे।
इस वर्ष की यात्राकाल में गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में कुल 14,02,128 तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए। इनमें गंगोत्री धाम में 7,57,762 और यमुनोत्री धाम में 6,44,366 श्रद्धालु शामिल हैं। अब तक चारधाम यात्रा के दौरान कुल 49.30 लाख से अधिक श्रद्धालु चारों धामों के दर्शन कर चुके हैं, और उम्मीद है कि तीनों धामों के कपाट बंद होने तक यह आंकड़ा 50 लाख पार कर जाएगा।