
भारत ने तकनीकी क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए चिप निर्माण को राष्ट्रीय सुरक्षा और डिजिटल संप्रभुता से जोड़ दिया है। ‘सेमीकॉन इंडिया 2025’ सम्मेलन के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि अब चिप केवल स्मार्टफोन या कंप्यूटर तक सीमित नहीं, बल्कि भारत की सामरिक क्षमता और साइबर सुरक्षा का मूल आधार बन चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “डिजिटल युग में संप्रभुता का अर्थ केवल सीमाओं की रक्षा नहीं, बल्कि डेटा और तकनीक पर नियंत्रण भी है। चिप वह इंजन है जो इस संप्रभुता को शक्ति देता है।”
🔹 सुरक्षा एजेंसियों में स्वदेशी चिप का उपयोग
भारत द्वारा विकसित की गई पहली पूर्ण स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर ‘विक्रम 3201’ को अब रक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थानों के साथ-साथ सुरक्षा एजेंसियों में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस चिप की विशेषता है कि यह अत्यधिक तापमान, विकिरण और कठिन परिस्थितियों में भी कार्य करने में सक्षम है।
इसका उपयोग:
- गुप्त संचार उपकरणों (secure communication systems)
- ड्रोन और निगरानी प्रणालियों
- रक्षा उपग्रहों
- साइबर सुरक्षा हार्डवेयर में किया जा रहा है।
🔹 चिप तकनीक = आत्मनिर्भर सुरक्षा तंत्र
अब तक भारत आयातित चिप्स पर निर्भर था, जिससे संवेदनशील डेटा और रक्षा से जुड़ी प्रणालियाँ विदेशी तकनीकों पर निर्भर थीं। स्वदेशी चिप निर्माण से भारत को:
- सुरक्षित हार्डवेयर प्लेटफ़ॉर्म
- डेटा लीक की संभावना में कमी
- रणनीतिक स्वतंत्रता मिली है।
🔹 अंतरिक्ष, रक्षा और नागरिक उपयोग में विस्तार
DRDO, ISRO और BEL जैसी संस्थाओं ने भी स्वदेशी चिप्स को अपनाने का निर्णय लिया है। आने वाले समय में भारत अपने रॉकेट, उपग्रह, और परमाणु संयंत्रों में भी विदेशी चिप्स की जगह ‘मेड इन इंडिया’ प्रोसेसर का उपयोग करेगा।
🔹 सरकार की नीति और समर्थन
सरकार ने सेमीकंडक्टर मिशन के तहत तकनीकी संस्थानों को भी जोड़ने की योजना बनाई है ताकि देश में चिप डिजाइन और निर्माण से जुड़े टेक्नोलॉजिस्ट और इंजीनियरों की नई पीढ़ी तैयार हो सके।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि, “तकनीक में आत्मनिर्भरता ही असली संप्रभुता है। हमारी अगली लड़ाई हथियारों से नहीं, डेटा और चिप्स से लड़ी जाएगी।”