
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशभर के वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर स्पष्ट निर्देश दिए कि आपदा प्रबंधन, कानून व्यवस्था और जनसुविधाओं के मामले में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार का मुख्य उद्देश्य है – जनता को त्वरित राहत और भरोसेमंद व्यवस्था देना।
🔹 आपदा राहत और पुनर्निर्माण पर प्राथमिकता
- मुख्यमंत्री ने कहा कि बरसात के बाद जिन क्षेत्रों में सड़कें, पुल, सरकारी संपत्तियां या फसलें प्रभावित हुई हैं, वहां तेजी से सर्वे कर रिपोर्ट भेजी जाए।
- राहत शिविरों, राशन और चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता हर आपदा प्रभावित इलाके में सुनिश्चित हो।
- नदी-नालों के पास अवैध निर्माण पर पूरी तरह रोक लगाई जाए, और नियमों की अनदेखी पर सख्त कार्रवाई की जाए।
🔹 स्वास्थ्य और स्वच्छता की मजबूत व्यवस्था
- मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सभी अस्पतालों में डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए पुख्ता व्यवस्था हो।
- जिलाधिकारी स्वयं अस्पतालों का निरीक्षण करें।
- सेवा पखवाड़ा (17 सितंबर – 2 अक्टूबर) के दौरान साफ-सफाई और जनसेवा पर विशेष ध्यान दिया जाए।
- गड्ढामुक्त सड़कों का अभियान तेज हो।
🔹 कानून व्यवस्था में कोई ढिलाई नहीं
- फर्जी आधार कार्ड, वोटर आईडी और गैस कनेक्शन बनाने वालों पर नियमित कार्रवाई हो।
- सीमावर्ती और संवेदनशील क्षेत्रों में सघन चेकिंग कर संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान की जाए।
- गौवंश संरक्षण के लिए प्रभावी कार्ययोजना तैयार की जाए।
🔹 चारधाम यात्रा हो सुरक्षित और व्यवस्थित
- मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि मानसून के बाद चारधाम यात्रा दोबारा पूरी सतर्कता के साथ शुरू की जाए।
- श्रद्धालुओं को मौसम संबंधी जानकारी समय पर दी जाए।
- यात्रा मार्गों की स्थिति की निरंतर निगरानी हो।
सभी जिलाधिकारी 15 दिन में मुख्यमंत्री घोषणाओं और विकास कार्यों की स्थिति की रिपोर्ट भेजें, ग्राम चौपाल, जनसुनवाई और बहुउद्देशीय शिविरों को नियमित रूप से संचालित किया जाये।
प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव शैलेश बगौली, डीजीपी दीपम सेठ, एडीजी ए.पी. अंशुमान, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय, कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत सहित सभी जिलाधिकारी बैठक में मौजूद रहे।
राज्य सरकार तेज, पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री धामी के निर्देशों से साफ है कि अब काम के प्रति ज़मीनी स्तर पर ठोस कार्यवाही ही सरकार की प्राथमिकता है।