
उत्तराखंड के रुड़की स्थित भगवानपुर थाना क्षेत्र में एक अवैध क्लीनिक में प्रसव के दौरान मां और नवजात की मौत हो गई। यह हादसा उस वक्त हुआ जब मृतका को प्रसव पीड़ा के बाद परिजन उसे नजदीकी क्लीनिक पर लेकर पहुंचे। इस दुखद घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है और परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। क्लीनिक संचालक और नर्स मौके से फरार हो चुके हैं।
घटना रायपुर गांव की है, जहां एक किराए की दुकान में काले शीशे लगाकर फर्जी तरीके से ‘क्लीनिक’ चलाया जा रहा था। क्लीनिक पर ना कोई बोर्ड था, ना डॉक्टर का नाम और ना ही किसी प्रकार की अधिकृत पहचान। इसके बावजूद, स्थानीय लोगों के अनुसार, यह क्लीनिक लंबे समय से लोगों का इलाज कर रहा था।
मृतका का नाम किरन बताया जा रहा है, जो अल्मोड़ा जिले के धौलाघाट की निवासी थी। किरन के पति पंकज ने बताया कि जैसे ही पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, वह उसे नजदीकी इस क्लीनिक पर ले गया। वहां मौजूद एक महिला नर्स ने कहा कि डिलीवरी की ज़रूरत है और बिना किसी विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह या निगरानी के खुद ही डिलीवरी शुरू कर दी। इलाज के दौरान ही जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो गयी। जैसे ही पंकज को पत्नी और नवजात की मौत की खबर मिली, उसके होश उड़ गए। गुस्से और ग़म से भरे परिजनों ने मौके पर हंगामा किया। इसी दौरान क्लीनिक की संचालिका और नर्स वहां से भाग निकलीं। कुछ ही देर में आसपास के लोग भी एकत्र हो गए और स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची। पुलिस ने पीड़ित परिजनों को समझा-बुझाकर शांत किया और दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। थाना प्रभारी का कहना है कि परिजनों की ओर से तहरीर मिल चुकी है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि भगवानपुर और आसपास के क्षेत्रों में कई झोलाछाप डॉक्टर सक्रिय हैं, जो बिना किसी योग्यता के इलाज कर रहे हैं। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। लोगों ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों को सख्त सज़ा दी जाए।