
जैसलमेर, 15 अक्टूबर :
राजस्थान के जैसलमेर जिले में मंगलवार दोपहर एक दर्दनाक सड़क हादसे में 20 लोगों की मौत हो गई और तीन दर्जन से अधिक लोग गंभीर रूप से झुलस गए। हादसा उस समय हुआ जब एक निजी एसी स्लीपर बस में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लग गई। बस जैसलमेर से जोधपुर जा रही थी और उसमें कुल 57 यात्री सवार थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बस के पिछले हिस्से से अचानक धुआं निकलना शुरू हुआ। वहां मौजूद पटाखों तक चिंगारी पहुंचते ही बस में तेजी से आग फैल गई। आग लगते ही बस राजमार्ग पर कुछ दूर तक दौड़ती रही, जिससे भीतर बैठे यात्रियों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिल सका। चालक ने समय रहते बस रोक दी और खुद कूदकर भाग निकला।
हादसे के वक्त बस का मुख्य गेट लॉक हो गया था। आस-पास के ग्रामीणों ने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि कुछ नहीं किया जा सका। सेना के जवान मौके पर पहुंचे और जेसीबी की मदद से बस का दरवाजा तोड़ा गया। इसके बाद घायल यात्रियों और शवों को बाहर निकाला गया।
हादसे में झुलसे करीब 16 लोगों को गंभीर हालत में जोधपुर रेफर किया गया है। उन्हें मथुरादास माथुर अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि अन्य का इलाज जैसलमेर के जवाहर अस्पताल में किया जा रहा है। अब तक 8 शवों की पहचान हो चुकी है। कलेक्टर प्रताप सिंह ने बताया कि शेष मृतकों की पहचान डीएनए जांच से की जाएगी।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मौके पर पहुंचकर हालात का जायजा लिया और घायलों से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया है और प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है।
इस हादसे ने बसों में अवैध रूप से पटाखों या ज्वलनशील पदार्थों के परिवहन को लेकर प्रशासन और ट्रांसपोर्ट सिस्टम की लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और संबंधित बस ऑपरेटर के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
जैसलमेर में हुआ यह हादसा ना केवल कई परिवारों के लिए दुख का कारण बना, बल्कि यह सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की भयावह कीमत का उदाहरण भी बन गया है। आवश्यकता है कि संबंधित विभाग इस दुर्घटना से सबक लेकर सख्त नियमन और निगरानी सुनिश्चित करें।