
मथुरा और वृंदावन में बाढ़ ने बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है। यमुना नदी का पानी खतरे के निशान को पार कर चुका है और लगातार बढ़ता जा रहा है। नतीजतन, कई गांवों और कॉलोनियों में पानी भर गया है। हालात को देखते हुए प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है।
यमुना नदी के किनारे बसे 23 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें से 13 गांव पूरी तरह पानी में डूब गए हैं। लोग घरों में फंसे हैं, और कई जगहों पर छतों पर चढ़कर अपनी जान बचा रहे हैं।
सबसे ज़्यादा नुकसान नौहझील, छाता और मांट क्षेत्र में हुआ है। कॉलोनियों जैसे भक्ति विहार, श्रीजी वाटिका, मोहिनी नगर, अक्रूर धाम में भी पानी घुस चुका है।
प्रशासन ने अब तक 1500 से ज़्यादा लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया है। चार जगहों पर राहत शिविर (शेल्टर होम) बनाए गए हैं, जहाँ लोगों को खाना, पानी, दवाइयां और रहने की सुविधा दी जा रही है। डीएम चंद्रप्रकाश सिंह और प्रशासन की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं। पीएसी के जवान और पुलिस बल भी राहत कार्य में लगे हैं।
बाढ़ का असर इतना ज्यादा है कि वृंदावन के घाटों को बंद कर दिया गया है। कई सड़कों पर नावें चल रही हैं, और शहर पानी से घिरा हुआ नजर आ रहा है। गांवों में धान, बाजरा और ज्वार की फसलें पानी में डूब गई हैं। पशुओं के लिए चारे की भी भारी कमी हो गई है।
क्षेत्रीय विधायक राजेश चौधरी ने नाव से बाढ़ पीड़ित गांवों का दौरा किया और लोगों से बात की। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन मिलकर हर ज़रूरतमंद को मदद दे रहे हैं। प्रशासन ने सभी लोगों से कहा है कि वे सुरक्षित स्थानों पर जाएं और अफवाहों पर विश्वास न करें। बाढ़ के हालात पर हर पल नजर रखी जा रही है।
“हम हर गांव तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। लोग संयम बनाए रखें और हमारी टीम से सहयोग करें।”
— वैभव गुप्ता, एसडीएम