
उत्तराखंड में शिक्षा का चेहरा बदल रहा है। मंगलवार को नानूरखेड़ा स्थित एससीईआरटी ऑडिटोरियम में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 75 मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। इसके अलावा, श्रेष्ठ विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को भी उनकी मेहनत और योगदान के लिए सम्मान प्रदान किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन पंडित दीनदयाल उपाध्याय शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार के अंतर्गत किया गया, जिसमें प्रदेश भर से आए विद्यार्थियों और शिक्षकों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री धामी ने अपने भाषण में कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक और संवेदनशील मानव बनना है। उन्होंने कहा, “पंडित दीनदयाल उपाध्याय मानते थे कि शिक्षा में नैतिकता, राष्ट्रप्रेम और सामाजिक समरसता भी होनी चाहिए।”
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की गई है, जो व्यवहारिक, आधुनिक और भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा की दिशा में क्रांतिकारी कदम है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं:
📌 226 स्कूलों को पीएम श्री स्कूल के रूप में बदला जा रहा है।
📌 1300 स्कूलों में वर्चुअल क्लास की सुविधा शुरू हो चुकी है।
📌 5 ई-विद्या चैनल से पहाड़ों में भी पहुंच रही ऑनलाइन शिक्षा।
📌 “हमारी विरासत” पुस्तक के जरिए छात्रों को भारत की संस्कृति से जोड़ा जा रहा है।
📌 कक्षा 1 से 12 तक के सभी छात्रों को फ्री किताबें मिल रही हैं।
📌 मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति योजना से हजारों छात्रों को हर महीने आर्थिक सहायता।
📌 10वीं और 12वीं के टॉपर छात्रों को भारत भ्रमण पर भेजा जा रहा है।
मुख्यमंत्री धामी ने दो टूक कहा कि राज्य में नकल माफियाओं के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में देश का सबसे कठोर नकल विरोधी कानून लागू किया गया है और अब तक 100 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में पेपर लीक की एक साजिश को समय रहते नाकाम कर दिया गया। इसके लिए एसआईटी गठित कर दी गई है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
धामी ने कहा कि सरकार ने नया अल्पसंख्यक शिक्षा कानून लागू कर दिया है। अब 1 जुलाई 2026 के बाद केवल वही मदरसे मान्य होंगे, जो राज्य सरकार द्वारा तय किए गए शैक्षिक पाठ्यक्रम को पढ़ाएंगे। बिना शैक्षिक योग्यता वाले धार्मिक शिक्षकों पर भी रोक लगेगी।
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि इस वर्ष बोर्ड परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण छात्रों की संख्या 18 प्रतिशत बढ़ी है। इसके अलावा छात्रों को अब अंक सुधार परीक्षा का विकल्प भी दिया गया है, जिससे उन पर परीक्षा का दबाव कम हुआ है।
कार्यक्रम में शिक्षा सचिव रविनाथ रामन, महानिदेशक शिक्षा दीप्ति सिंह, एवं अन्य अधिकारी, शिक्षक व गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।