
9 सितंबर को इजरायल द्वारा कतर की राजधानी दोहा पर किए गए हवाई हमले ने खाड़ी क्षेत्र में नई उथल-पुथल पैदा कर दी है। इस हमले ने न सिर्फ कतर की संप्रभुता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि अमेरिका की मध्य-पूर्व नीति में एक नया मोड़ भी लाया है।
इजरायली रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह हमला दोहा में चल रही उस बैठक को निशाना बनाकर किया गया, जिसमें हमास के शीर्ष नेता गाजा युद्धविराम पर चर्चा कर रहे थे। हालांकि, इस दावे की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है। हमले में हमास वार्ता दल के कुछ सदस्य मारे गए, लेकिन कोई शीर्ष नेता हताहत नहीं हुआ।
इस हमले में कतर का एक सुरक्षा अधिकारी भी मारा गया, जिससे दोहा सरकार ने इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करार दिया। कतर ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शिकायत दर्ज कराते हुए इजरायल के खिलाफ राजनयिक कार्रवाई की चेतावनी दी है।
हमले के कुछ ही दिनों बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एक Executive Order जारी किया, जिसमें कहा गया कि अमेरिका कतर की संप्रभुता और सुरक्षा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि कतर की ज़मीन, संप्रभुता या रणनीतिक ढांचे पर कोई हमला होता है, तो अमेरिका उसे अपने राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध सीधा खतरा मानेगा और “उचित और वैध कार्रवाई” करेगा, जिसमें सैन्य प्रतिक्रिया भी शामिल हो सकती है।
व्हाइट हाउस के सूत्रों के मुताबिक, अमेरिकी दबाव के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कतर के प्रधानमंत्री को फोन कर “माफी नहीं, परंतु खेद” व्यक्त किया है। हालांकि, इजरायली सरकार ने सार्वजनिक रूप से इस बात की पुष्टि नहीं की है।
कतर न सिर्फ ऊर्जा के क्षेत्र में एक महाशक्ति है, बल्कि अमेरिका का सबसे बड़ा क्षेत्रीय सैन्य अड्डा — अल उदीद एयरबेस — भी यहीं स्थित है। यह अड्डा दशकों से अमेरिका के लिए अफगानिस्तान, ईराक और सीरिया में संचालन का केंद्र रहा है।
हमले के बाद अमेरिका द्वारा दी गई सुरक्षा गारंटी का एक उद्देश्य यह भी माना जा रहा है कि वह कतर को चीन और रूस जैसे प्रभावशाली प्रतिद्वंद्वियों से दूर रख सके, जो हाल के वर्षों में खाड़ी देशों के साथ अपने संबंध मजबूत कर रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल द्वारा कतर पर हमला एक ‘game-changing moment’ है, क्योंकि अब तक इजरायल ने कभी भी किसी खाड़ी देश की राजधानी में प्रत्यक्ष हमला नहीं किया था।
अब अमेरिका द्वारा कतर को दी गई सुरक्षा की गारंटी, न केवल कतर को आश्वस्त करती है, बल्कि अन्य खाड़ी देशों — जैसे सऊदी अरब और UAE — को भी स्पष्ट संकेत देती है कि अमेरिका अब क्षेत्रीय हमलों पर चुप नहीं बैठने वाला।