
देशभर में मचे हड़कंप के बीच केंद्र सरकार ने उन दवा कंपनियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, जिनकी खांसी की सिरप पीने से मासूम बच्चों की जान चली गई। मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र से सामने आए इन दर्दनाक मामलों ने देश को झकझोर दिया है।
आज शाम 4 बजे केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों, औषधि नियंत्रकों और प्रधान सचिवों के साथ आपात बैठक करेंगे। बैठक का उद्देश्य है – बच्चों को दी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता की जांच और कफ सिरप के सुरक्षित उपयोग पर दिशा-निर्देश तय करना।
जांच में सामने आया है कि सरेशान फार्मास्यूटिकल्स द्वारा निर्मित ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल (DEG) नामक रसायन पाया गया है। यह शरीर के गुर्दों को फेल कर सकता है और खासकर छोटे बच्चों के लिए जानलेवा साबित होता है।
तेलंगाना सरकार ने DEG की पुष्टि करते हुए लोगों से इस दवा के सेवन से बचने की सख्त चेतावनी दी है।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, राजस्थान, महाराष्ट्र – इन राज्यों से बच्चों की मौत की खबरें आई हैं।
केरल और तेलंगाना ने भी जनता को आगाह कर दिया है।
हर मौत के साथ सवाल उठता है – कब तक हमारे बच्चे ऐसी लापरवाहियों के शिकार होते रहेंगे?
मध्य प्रदेश सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए न केवल कोल्ड्रिफ, बल्कि एक अन्य कफ सिरप ‘नेक्स्ट्रो डीएस’ की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा की कि संबंधित कंपनी के अन्य सभी उत्पादों की बिक्री भी रोक दी गई है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने हिमाचल, उत्तराखंड, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में दवा उत्पादन इकाइयों की जांच शुरू की है। अब तक 19 दवाओं के नमूने लिए गए हैं, जिनमें खांसी की दवाएं, बुखार की गोलियां और एंटीबायोटिक शामिल हैं।
CDSCO ने तमिलनाडु के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) को संबंधित कंपनी के खिलाफ गंभीर कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
🧾 स्वास्थ्य मंत्रालय की नई सिफारिशें
- 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप देना सख्त मना।
- 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर।
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए हानिकारक दवाओं पर चेतावनी लेबल अनिवार्य होगा।
सरकार ने देशवासियों से अपील की है कि:
- बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी कफ सिरप बच्चों को न दें।
- कोई दवा संदिग्ध लगे तो स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी या औषधि नियंत्रण विभाग को तुरंत सूचित करे
इस घटना ने देश में दवा निर्माण और नियंत्रण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या सभी फार्मा कंपनियों की नियमित जांच हो रही है? क्या आम आदमी को दवाओं की गुणवत्ता की जानकारी मिल पा रही है?
सरकार के इस ताज़ा एक्शन से उम्मीद की जा रही है कि अब दवाओं की गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।