खार्तूम। सूडान के दारफुर क्षेत्र में एक बार फिर हिंसा ने भयावह रूप ले लिया है। अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस समिति (ICRC) की प्रमुख मिर्जाना स्पोल्जारिक ने चेताया है कि दारफुर की राजधानी अल-फशीर में जो कुछ हो रहा है, वह बीते दो दशकों के नरसंहार और जातीय हिंसा की पुनरावृत्ति जैसा है।
रिपोर्टों के मुताबिक, पिछले सप्ताह रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) ने अल-फशीर शहर पर कब्जा कर लिया। इसके बाद सैकड़ों नागरिकों और निहत्थे लड़ाकों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बताया कि कब्जे के दौरान पुरुषों को महिलाओं और बच्चों से अलग किया गया, और जल्द ही गोलियों की आवाजें सुनाई दीं। हालांकि, RSF ने नागरिकों की हत्या के आरोपों से इनकार किया है।
ICRC प्रमुख स्पोल्जारिक ने रियाद में रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि हजारों लोग शहर से भाग चुके हैं, लेकिन अब भी हजारों लोग बिना भोजन, पानी और इलाज के फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा, “हर बार जब किसी शहर पर दूसरा पक्ष कब्जा करता है, हालात और बिगड़ जाते हैं।”
दारफुर क्षेत्र पहले भी 2000 के दशक में नरसंहार और जातीय हिंसा के लिए सुर्खियों में रह चुका है। उस दौर की जंजावीद मिलिशिया से ही मौजूदा RSF का गठन हुआ था।
ICRC को अल-फशीर के सऊदी अस्पताल से संभावित नरसंहार की खबरें मिली हैं, हालांकि इनकी स्वतंत्र पुष्टि अभी नहीं हो पाई है। पास के तविला शहर में राहतकर्मियों ने बताया कि कई लोग थकान या चोटों के कारण भागते हुए रास्ते में ही दम तोड़ रहे हैं।
अमेरिका पहले ही RSF पर दारफुर के जिनेना शहर में जनसंहार का आरोप लगा चुका है, जिसे RSF ने खारिज किया है। वहीं, मानवाधिकार संगठनों ने भी RSF और सहयोगी गुटों पर जातीय सफाए के आरोप लगाए हैं।
स्पोल्जारिक ने अपील की कि जिन देशों का इस संघर्ष में प्रभाव है, वे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। रिपोर्टों के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पर RSF को हथियारों की आपूर्ति का आरोप है, जबकि मिस्र और ईरान सूडानी सेना का समर्थन कर रहे हैं। बताया जाता है कि ईरान निर्मित ड्रोन भी इस संघर्ष में इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के अनुसार, 26 अक्टूबर से अब तक 70 हजार लोग अल-फशीर से पलायन कर चुके हैं, जबकि करीब दो लाख लोग अब भी शहर में फंसे हैं।
स्पोल्जारिक ने कहा कि दुनिया “लगातार बढ़ते युद्धों के युग” में प्रवेश कर चुकी है। पिछले 15 सालों में सशस्त्र संघर्षों की संख्या लगभग दोगुनी होकर 130 तक पहुंच गई है। उन्होंने चेताया कि ड्रोन और आधुनिक हथियारों ने युद्ध को और विनाशकारी बना दिया है।
दारफुर की यह स्थिति बताती है कि सूडान में शांति की उम्मीदें अब भी बहुत दूर हैं, और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तात्कालिक हस्तक्षेप के बिना यहां मानवीय संकट और गहराने का खतरा है।
