वाशिंगटन, 5 नवंबर: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने दुनिया भर में हलचल मचा दी है। ट्रंप ने कहा कि जब अन्य देश खुलेआम परमाणु हथियारों की दौड़ में शामिल हैं, तो अमेरिका पीछे क्यों रहे। उन्होंने संकेत दिया है कि अमेरिका परमाणु परीक्षणों को पुनः शुरू कर सकता है।
अमेरिका ने आखिरी बार 23 सितंबर 1992 को परमाणु परीक्षण किया था। इसके बाद संसद ने “टेस्ट मोराटोरियम” लागू किया, जिसे तब से निभाया जा रहा है। लेकिन ट्रंप के बयान ने इस नीति पर अनिश्चितता पैदा कर दी है।
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप का यह बयान रूस और चीन जैसी महाशक्तियों द्वारा हाल ही में किए गए हथियार परीक्षणों के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है। रूस ने हाल ही में लंबी दूरी की मिसाइल का सफल परीक्षण किया है, जबकि चीन अपनी परमाणु क्षमता बढ़ा रहा है।
दुनिया में वर्तमान में लगभग 12,500 परमाणु हथियार मौजूद हैं। अमेरिका और रूस के पास सबसे अधिक हथियार हैं। भारत, पाकिस्तान, चीन और अन्य देश भी अपनी क्षमता बढ़ा रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप के इस बयान से दक्षिण एशिया का परमाणु संतुलन प्रभावित हो सकता है। भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच पहले से ही संवेदनशील परमाणु त्रिकोण मौजूद है।
ट्रंप की अनिश्चित और अप्रत्याशित शैली ने शीत युद्ध की यादें ताजा कर दी हैं। अब वैश्विक राजनीतिक माहौल में एक तेज और अधिक अस्थिर “नया शीत युद्ध” देखने को मिल सकता है।
