वॉशिंगटन/सूडान:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सूडान में बढ़ते रक्तपात, भुखमरी और मानवीय संकट को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि सूडान आज “धरती का सबसे हिंसक क्षेत्र” बन चुका है और हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि वैश्विक समुदाय इसे और नजरअंदाज़ नहीं कर सकता।
अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “ट्रुथ सोशल” पर ट्रंप ने लिखा,
“सूडान में भयानक अत्याचार हो रहे हैं। यह अब धरती पर सबसे हिंसक जगह बन गया है। वहाँ भोजन, दवाइयों और हर आवश्यक संसाधन की बेहद कमी है।”
ट्रंप ने दावा किया कि कई अरब नेता, विशेषकर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, उनसे आग्रह कर रहे हैं कि अमेरिका सूडान में निर्णायक हस्तक्षेप करे।
ट्रंप ने कहा,
“सूडान कभी महान सभ्यता का केंद्र था। आज यह बदहाली में है। लेकिन सही अंतरराष्ट्रीय सहयोग से इसे दोबारा स्थिर किया जा सकता है।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका जल्द ही सऊदी अरब, यूएई, मिस्र और अन्य मध्य-पूर्वी सहयोगियों के साथ मिलकर सूडान में अत्याचारों को रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाएगा।
दो साल से अधिक समय से जारी भीषण गृहयुद्ध के बीच एक महत्वपूर्ण संकेत मिला है।
सूडान की अर्धसैनिक संगठन रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) ने अमेरिका की अगुवाई वाले “क्वाड मध्यस्थ समूह” द्वारा प्रस्तावित मानवीय युद्धविराम को स्वीकार कर लिया है।
क्वाड में— अमेरिका, सऊदी अरब, मिस्र, यूएई शामिल हैं।
RSF ने कहा कि यह कदम नागरिकों पर पड़ रहे “विनाशकारी प्रभाव” को कम करने के लिए आवश्यक है।
अमेरिकी वरिष्ठ सलाहकार मसाद बूलोस ने बताया कि युद्धरत दोनों पक्ष “सिद्धांत रूप में सहमत” हो चुके हैं और बातचीत आगे बढ़ रही है।
प्रैल 2023 से जारी संघर्ष ने सूडान को पूरी तरह झकझोर दिया है।
- हज़ारों लोग मारे गए
- लाखों नागरिक बेघर
- बुनियादी ढाँचा ध्वस्त
- स्वास्थ्य सेवाएँ चरमराईं
WHO के अनुसार, राजधानी खार्तूम के एक पूर्व बाल चिकित्सालय पर कब्जे के दौरान 460 से अधिक मरीजों और मेडिकल कर्मियों की हत्या की गई—यह घटना वैश्विक स्तर पर भारी आक्रोश का कारण बनी।
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार रिपोर्ट में SAF और RSF—दोनों—पर गंभीर युद्ध अपराधों के आरोप लगाए गए हैं, जिनमें
- बिना मुकदमे हत्याएँ
- नागरिक क्षेत्रों पर हमले
- यातना
- व्यापक यौन हिंसा
शामिल हैं।
ट्रंप की बयानबाज़ी और RSF के युद्धविराम स्वीकार करने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उम्मीद जगी है कि लंबी चल रही यह तबाही अब थम सकेगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमेरिका, सऊदी अरब और क्षेत्रीय साझेदार वास्तविक दबाव बनाते हैं तो संघर्ष कम हो सकता है, लेकिन स्थायी समाधान अभी भी एक चुनौती है।
