लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा देशभर में श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद आज सुबह व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को ‘उषा अर्घ्य’ अर्पित कर चार दिवसीय पर्व का समापन किया। बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली, महाराष्ट्र और नेपाल सहित कई जगहों पर घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
नदियों और तालाबों के किनारे पारंपरिक गीतों की गूंज और दीपों की रौशनी से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। प्रशासन की ओर से सुरक्षा और सफाई के विशेष इंतज़ाम किए गए थे।
छठ पर्व सूर्यदेव और छठी मैया की उपासना का प्रतीक है। इस अवसर पर व्रती महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि के लिए कठिन उपवास रखती हैं। सुबह और शाम सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परंपरा सदियों पुरानी आस्था को जीवंत करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठ पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व भारतीय संस्कृति की भव्य परंपरा और एकता का प्रतीक है।
बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने किशनगंज में उगते सूर्य को अर्घ्य देकर प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पहली बार अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर इसे जीवन का सौभाग्य बताया।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस मुंबई के जुहू बीच पर आयोजित छठ उत्सव में शामिल हुए और कहा कि यह पर्व देश की एकता और ऊर्जा का प्रतीक है।
दिल्ली में आशीष सूद ने कहा कि 12 साल बाद यमुना किनारे छठ पूजा का आयोजन हमारी आस्था और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
बिहार के गया में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने छठ व्रतियों के बीच पूजा सामग्री, फल और नारियल वितरित किए और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। इस पहल ने सांप्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश की।
नोएडा, वाराणसी, गोरखपुर, और चंदौली के साथ-साथ नेपाल के बीरगंज में भी छठ पर्व की रौनक देखने लायक रही। झीलों और तालाबों को दीपों से सजाया गया और आकाश आतिशबाज़ी से जगमगा उठा।
छठ पर्व ने एक बार फिर यह साबित किया कि यह केवल पूजा नहीं, बल्कि लोक आस्था, अनुशासन, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक एकता का महापर्व है। सूर्यदेव की आराधना के साथ देशभर में “छठ मइया के जयकारे” गूंजते रहे और हर ओर भक्ति एवं उल्लास का वातावरण व्याप्त रहा।
