ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में शनिवार दोपहर बड़ा हादसा हो गया। ड्रिलिंग के दौरान अचानक पत्थर खदान धसक गई, जिससे अफरा-तफरी मच गई। घटना में अब तक एक मजदूर की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 15 से अधिक श्रमिकों के मलबे में फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर राहत-बचाव कार्य में जुटी हैं।
रात करीब दो बजे मलबे से राजू सिंह गोंड (28) निवासी टोला अमिरिनिया, परसाई ग्राम पंचायत का शव निकाला गया। उसकी पहचान उसके मोबाइल से मिले संपर्क नंबर के आधार पर हुई। ओबरा थाने में केस दर्ज कर लिया गया है और आरोपियों की तलाश में विशेष टीम बनाई गई है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के समय 15–18 मजदूर वहां मौजूद थे। खदान में नौ कंप्रेशर मशीनों से ब्लास्टिंग के लिए होल किया जा रहा था। दोपहर करीब ढाई बजे खदान की एक बड़ी दीवार अचानक धसक गई और भारी मलबा लगभग 150 फीट नीचे गिरा, जिससे कई मजदूर दब गए।
खास बात यह रही कि हादसे से कुछ ही वक्त पहले मुख्यमंत्री का कार्यक्रम चंद किलोमीटर की दूरी पर आयोजित था। उनके लौटने के लगभग 30 मिनट बाद यह दुर्घटना हो गई।
सूचना मिलते ही डीएम बद्रीनाथ सिंह, एसपी अभिषेक वर्मा सहित प्रशासनिक टीमें मौके पर पहुंचीं। राज्य मंत्री संजय सिंह गोंड ने भी स्थल का निरीक्षण किया।
मुख्यमंत्री के आगमन को देखते हुए शनिवार को खनन क्षेत्र में ब्लास्टिंग रोक दी गई थी। इसके बावजूद मेसर्स कृष्णा माइनिंग की खदान में ब्लास्टिंग के लिए ड्रिलिंग का काम चलता रहा। इसी दौरान यह बड़ा हादसा हुआ।
ग्रामीणों, अल्ट्राटेक और अन्य परियोजनाओं के राहत दलों ने प्रशासन के साथ मिलकर बचाव कार्य शुरू किया। हालांकि खदान अत्यधिक गहरी होने के कारण पोकलेन मशीनों से मलबा हटाने में काफी कठिनाइयाँ आ रही हैं।
कुछ ग्रामीणों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने दो मजदूरों की मौत की भी बात कही है, लेकिन प्रशासन ने इसकी अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
रविवार सुबह सांसद छोटेलाल खरवार, जिलाध्यक्ष रामनिहोर यादव, प्रदेश सचिव मुनीर अहमद और कई सपा नेताओं को घटनास्थल पर जाने से प्रशासन ने रोक दिया।
सांसद ने तीखी नाराजगी जताते हुए कहा कि “जिले में अधिकारी आपस में मिलीभगत कर अवैध खनन को बढ़ावा दे रहे हैं।”
फिलहाल मलबे में फंसे श्रमिकों की तलाश जारी है और प्रशासन पूरे मामले की जांच में लग गया है। खदान में सुरक्षा मानकों को लेकर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
