
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पाने के लिए ओपीटी प्रमाणीकरण के माध्यम से आधार आधारित ईकेवाईसी को बंद कर दिया गया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने इसके लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण आधारित ईकेवाईसी अनिवार्य कर दी है। सरकार ने इसके लिए 31 मई की समयसीमा तय की है। वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली किस्त किसी भी समय जारी हो सकती है। ऐसे में लाखों लाभार्थी सीएससी की दौड़ लगा रहे हैं।
केवाईसी विभिन्न दस्तावेजों के सत्यापन के माध्यम से ग्राहक को जानने की प्रक्रिया है। ईकेवाईसी में यह प्रक्रिया इलेक्ट्रानिक रूप से पूरी होती है। पीएम किसान निधि के तहत किसान परिवारों को चार किस्तों के रूप में सालाना छह हजार रुपये बैंक खाते में प्राप्त होती है। अभी तक इसके लिए आधार लिंक वाले मोबाइल नंबर पर आने वाले ओटीपी से ईकेवाईसी की प्रक्रिया होती थी।
सरकार ने अब इस व्यवस्था को समाप्त करते हुए बायोमेट्रिक ईकेवाईसी करने का विकल्प दिया है। बायोमेट्रिक ईकेवाईसी के लिए जन सुविधा केंद्र (सीएससी) जाना होगा। सीएससी केंद्रों पर आजकल पेंशनरों की भीड़ जुट रही है। इस समय उत्तराखंड में सम्मान निधि के लिए आवेदन करने वालों की संख्या 9.46 लाख के पार पहुंच चुकी है।
सम्मान निधि पाने वाले किसान
जनवरी 2019 4,15,351
जनवरी 2020 7,84,324
जनवरी 2021 8,71,585
जनवरी 2022 9,32,164
बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण आधारित ईकेवाईसी की मंशा गलत तरीके से पेंशन ले रहे लोगों को चिह्नित करना है। मोबाइल ओटीपी आधारित प्रमाणीकरण में लाभार्थी के जीवित नहीं होने की स्थिति में भी कई बार उसके स्वजन ईकेवाईसी कराकर पेंशन लेते रहते हैं। बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण में पीएम सम्मान निधि पाने वाले को सीएचसी जाकर अंगूठे से प्रमाणीकरण कराना होता है।