
सहकारिता आंदोलन की सफलता से देश का गरीब, वंचित वर्ग और किसान मजबूत होता है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा ‘डेयरी क्षेत्र में सहकारिता की सफलता से महिलाएं और गरीब किसानों की दशा में अप्रत्याशित सुधार हुआ है।’ सहकारी डेयरी के एक समारोह में बोलते हुए शाह ने कहा कि छोटे किसानों, पशु पालकों और मछुआरों ने सहकारिता आंदोलन के माध्यम से न सिर्फ अपना विकास किया है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल दी है।
शाह ने विश्वास के साथ जोर देकर कहा ‘प्रधानमंत्री मोदी के पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को पूरा करने में सहकारी क्षेत्र का योगदान सबसे ज्यादा होगा।’ सहकारी आंदोलन का विस्तार से जिक्र करते हुए शाह ने इसकी भूमिका को और बढ़ाने के लिए लोगों से आगे आने की अपील की है। उन्होंने कहा कि देश आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में हैं, जिसे संकल्प वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने रक्षा क्षेत्र के साथ देश की अर्थव्यवस्था को गति देने का प्रयास किया है।
नई शिक्षा नीति को लागू करने, छोटे व्यवसायों को समृद्ध बनाने और युवाओं को विश्व मंच पर स्थापित करने के लिए सहकारी आंदोलनों का सहारा लिया जाएगा। शाह ने विश्वास दिलाते हुए कहा कि आजादी के 100वें वर्ष में भारत के सहकारी आंदोलन को दुनिया का सबसे मजबूत सहकारी आंदोलन के रूप में स्थापित करना है।
गुजरात की सुमुल डेयरी में आदिवासियों की सहभागिता और उससे उनके जीवन में आए सुधार का उल्लेख करते हुए सहकारिता मंत्री शाह ने कहा कि यहां से रोजाना सात करोड़ रुपये का दूध बिकता है। इसका फायदा ढाई लाख सदस्यों को प्राप्त हो रहा है। भला कौन सोच सकता है कि एक दो एकड़ वाले आदिवासी महिला किसानों के बैंक खाते में रोजाना पैसे जमा होते हैं। सहकारिता के सिद्धांत और आंदोलन का यही चमत्कार है। सहकारिता का अनूठा उदाहरण अमूल ब्रांड है। वैश्विक पहचान बना चुके इस संस्थान का 53000 करोड़ रुपये का कारोबार है।
शाह ने कहा कि यह सहकारी आंदोलन की ताकत को दर्शाता है। सहकारी आंदोलन की राह के अवरोधों को केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने सुलझा दिया है। सहकारी उत्पादन करने वाली सभी संस्थाओं को कारपोरेट टैक्स के बराबर ला दिया गया है। देश की सभी प्राइमरी एग्रीकल्चल सोसाइटीज (पैक्स) को आन लाइन करने के लिए उन्हें डिजिटल बनाया जा रहा है। बजट में इसके लिए विशेष प्राविधान किया गया है।