
अपनी मांगों पर कार्रवाई नहीं होने से आक्रोशित वन निगम के कार्मिकों ने निगम मुख्यालय में वन विकास निगम कर्मचारी संघ के बैनर तले अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। कार्मिकों ने शासन और निगम प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उन्होंने सकारात्मक कार्रवाई न होने तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया है।वन विकास निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष बीएस रावत ने कहा कि निगम के प्रबंध निदेशक ने बीती 22 जुलाई को संघ के साथ वार्ता कर समस्याओं के समाधान के लिए 31 जुलाई तक का समय मांगते हुए धरना समाप्त कराया था। लेकिन, अब तक कार्मिकों की समस्याओं के निदान को कोई पहल नहीं की गई। इससे आक्रोशित कार्मिकों ने बुधवार से फिर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि शासन से आदेश हो जाने बाद किए गए वेतन निर्धारण पर वित्त विभाग आनाकानी कर रहा है।
नोशनल आधार पर किए गए भुगतान पर 10 साल बाद रोक लगाई जा रही है। आरोप लगाया कि कार्मिकों से अवैधानिक वसूली की जा रही है।इस कारण कार्मिक दो साल से मानसिक उत्पीड़न झेल रहे हैं। चार वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुए कार्मिकों के देयकों को रोक दिया गया है। उनसे आठ लाख से 35 लाख तक की वसूली निर्धारित की जा रही है। वन विकास निगम के कार्मिक पुनर्गठन ढांचे में स्केलर संवर्ग के वेतनमान को वेतन विसंगति समिति की संस्तुतियों के अनुसार वर्ग-ग के वेतन लेवल-5 पर रखे जाने की सहमति बनी, लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं की गई।संघ ने प्रबंध निदेशक को पत्र भेजकर कहा है कि समस्याओं का समाधान होने तक आंदोलन जारी रहेगा। आगे इसे और तेज किया जाएगा। धरने में पूरन रावत, गिरीश पैन्यूली, दिवाकर शाही, बलदेव कंडारी, रतन सिंह, रमेश सैनी, रतन नेगी, मोहन कुलियाल, मनवर रावत, केपी बेलवाल, पान सिंह नेगी आदि शामिल रहे।