उत्तराखंड में पांच करोड़ से अधिक लागत के निर्माण कार्यों और परियोजनाओं का अनिवार्य रूप से आडिट होगा। ये आडिट रिपोर्ट विभागीय प्रमुख सचिव या सचिव अपने स्तर से महालेखाकार कार्यालय को उपलब्ध कराएंगे। विभागों को नए वाहन खरीदने से पहले प्रत्येक मामले में वित्त की सहमति लेनी होगी। वाहन खरीद पर खर्च करने से पहले नई वाहन नीति के तहत ही निर्णय लिया जाएगा। सरकार ने बीते वित्तीय वर्ष 2020-21 के अवशेष बजट को आनलाइन समर्पित करने के लिए पांच अप्रैल डेडलाइन तय की है। वहीं, लघु निर्माण कार्यों की बजट राशि में न्यूनतम 10 फीसद राशि दिव्यांगजनों के कल्याण और सुगम्यता से संबंधित कार्यों पर खर्च की जाएगी।
सरकार ने नए वित्तीय वर्ष 2021-22 के बजट की मंजूरी और खर्च को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। वित्त सचिव अमित नेगी ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक विभागों को आनलाइन लेन-देन करना होगा। चालू निर्माण कार्यों के लिए वित्तीय मंजूरी प्रशासकीय विभाग अपने स्तर से जारी कर सकेंगे। इस मद में बजट 25 करोड़ से ज्यादा होने पर प्रशासकीय विभाग तीन समान किस्तों में इसे विभागाध्यक्षों की जिम्मेदारी पर जारी करेंगे। दूसरी किस्त जारी करने से पहले पहली किस्त का 70 फीसद उपयोगिता प्रमाणपत्र लेना जरूरी होगा। इसी तरह तीसरी किस्त देने से पहले पहली और दूसरी किस्त की राशि का 70 फीसद उपयोगिता प्रमाणपत्र विभागाध्यक्ष शासन को भेजेंगे।
नए कार्यों के लिए विभागों को दिए गए वित्तीय अधिकारों का पालन करना होगा। 20 लाख की लागत तक नए कार्यों के लिए वित्तीय स्वीकृति विभाग अपने स्तर से जारी करेंगे। इससे अधिक की वित्तीय स्वीकृति वित्त विभाग की सहमति से जारी की जाएगी। सरकार ने स्वीकृत प्रत्येक निर्माण कार्य का नियमित और सघन अनुश्रवण व समीक्षा करने को कहा है, जो कार्य किसी कारणवश शुरू नहीं हुए तो उनकी स्वीकृति निरस्त की जाएगी। बाद में जरूरत के मुताबिक उक्त कार्यों के संबंध में नए इस्टीमेट के आधार पर बजट उपलब्धता देखते हुए नए सिरे से स्वीकृति पर विचार किया जाएगा। ऐसी परियोजनाएं जिनकी लागत 50 लाख या इससे कम है, इनकी धनराशि एकमुश्त या 50-50 फीसद या 40-40-20 फीसद के तौर पर जारी की जा सकेगी।
50 लाख से अधिक लागत की परियोजनाओं के लिए धनराशि तीन चरणों में 40-40-20 फीसद के आधार पर जारी की जाएगी। निर्माण कार्यों को निर्धारित समय और स्वीकृत लागत में पूरा करने की हिदायत दी गई है। निर्माण कार्यों की प्राथमिकता और सीजन के आधार पर कार्ययोजना तैयार की जाएगी। चालू निर्माण कार्यों में सबसे पहले उन परियोजनाओं के लिए बजट मंजूर किया जाएगा, जिनमें 80 से 90 फीसद तक काम हो चुका हो। केंद्रपोषित, बाहय सहायतित और एसपीए व एससीए के तहत बजट खर्च को लेकर भी निर्देश दिए गए हैं।
कार्यालय के इस्तेमाल को स्टाफ कारों व अन्य मोटर गाडिय़ों की खरीद, सब्सिडी, वृहद निर्माण, भूमि खरीद, पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन को अनुदान, निवेश, ऋण, ब्याज या लाभांश, बट्टा खाता या हानियां, अवमूल्यन, अंतर्लेखा संक्रमण, वापसी, इंश्योरेंस पालिसी या प्रीमियम या समनुदेशन या डिवोल्यूशन।