
राज्य की नई सरकार के सामने जहां विकास योजनाओं को परवान चढ़ाने का दबाव रहेगा, बड़ी चुनौती नौकरशाही को साधने की भी रहेगी। इसका मुख्य कारण चुनाव के दौरान अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर उठे सवाल हैं। नई सरकार को अपनी प्राथमिकताओं को धरातल पर उतारने के लिए नौकरशाही की जरूरत पड़ेगी। यह नई सरकार पर निर्भर करेगा कि वह नौकरशाही का उपयोग किस तरह से सरकार और राज्यहित में करेगी।राज्य गठन के बाद शायद ही कोई सरकार रही, जिसे नौकरशाही से न जूझना पड़ा हो। सत्ता में कांग्रेस रही या भाजपा, अधिकारियों की कार्यशैली को लेकर समय-समय पर विधायक और मंत्री सार्वजनिक मंचों पर अपनी व्यथा उठाते नजर आए।
निर्वतमान भाजपा सरकार की बात करें तो शुरुआती दौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस बात को खुले मंच पर कहा कि जनप्रतिनिधियों का दर्जा अधिकारियों से ऊपर है।उनकी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, सतपाल महाराज, अरविंद पांडेय और रेखा आर्य ने कई मौकों पर अधिकारियों की कार्यशैली और मंत्रियों के साथ उनके व्यवहार को लेकर टिप्पणी की। पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने तो विधानसभा में तत्कालीन जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की सूचना भी दी थी। बाद में जिलाधिकारी को हटाया गया।
निवर्तमान सरकार में जब मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी बढऩे लगी, तब मुख्य सचिव की ओर से सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, मंडलायुक्तों, पुलिस महानिदेशक, जिलाधिकारियों और सभी विभागाध्यक्षों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए। इसमें सभी सरकारी सेवकों के लिए सांसद व विधानसभा सदस्यों के प्रति शिष्टाचार निभाना अनिवार्य किया गया।
इसके बाद भी इसका पूरा अनुपालन नहीं हुआ। मंत्रियों की बैठक में अधिकारियों की अनुपस्थिति बरकरार रही। पुष्कर सिंह धामी के कार्यकाल में भी यह सिलसिला जारी रहा। हालांकि, उन्होंने अल्पसमय को देखते हुए इन मामलों में टिप्पणी करने के स्थान पर अधिकारियों के दायित्वों में परिवर्तन करना ज्यादा उचित समझा। इसका असर चुनाव में तब नजर आया, जब कुछ अधिकारियों पर सत्ताधारी दल के खिलाफ और विपक्ष के लिए काम करने के आरोप लगे।अब नई सरकार सत्ता संभालने वाली है, तो निश्चित रूप से वह अपनी प्राथमिकताओं को धरातल पर उतारने की कसरत में जुटेगी। इन कार्यों को धरातल पर उतारने में नौकरशाही महत्वपूर्ण कड़ी है। ऐसे में इस पर नियंत्रण रखते हुए विकास कार्यों को आगे बढ़ाना नई सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी।