
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का केदारनाथ दौरा भले राजनैतिक नहीं था। लेकिन उनके द्वारा किए गए शिलान्यास कार्यक्रमों को भाजपा भुनाने में जुटे हैं। चुनावी साल में गृहमंत्री अमित शाह से लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी उत्तराखंड आ चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार दौरे कर पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देने में जुटे हैं।जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस से बड़े नेता से लेकर स्टार प्रचारक तक की जिम्मेदारी सिर्फ पूर्व सीएम हरीश रावत निभा रहे हैं। रैली में मुख्य संबोधन हो या फिर छोटी-बड़ी पदयात्रा या जनसभा। कांग्रेस से हरदा का चेहरा ही सबसे आगे। अब देखना यह है कि चुनाव में पार्टी को इसका कितना फायदा होगा। हालांकि, राजनीति और रणनीति में माहिर हरदा पूरी कोशिश में जुटे हैं कि चुनाव को उत्तराखंड और स्थानीय मुद्दों तक सीमित रखा जा सके।
उत्तराखंड चुनाव को लेकर सरगर्मियां लगातार तेज हो रही है। सत्तारूढ़ भाजपा की बात करें तो केंद्रीय आलाकमान 70 सीटों वाले पहाड़ी राज्यों को लेकर पूरी तरह से गंभीर है। यहीं वजह है कि लगातार बड़े नेता उत्तराखंड पहुंच रहे। योजनाओं के शिलान्यास व घोषणाओं के बहाने जुट रही भीड़ के बीच से कांग्रेस और खासकर पूर्व सीएम हरीश रावत को निशाना बनाया जा रहा है। जिससे पता चलता है कि भाजपा भी विरोधी खेमे से हरदा को बड़ा क्षत्रप समझती है।धरना-प्रदर्शन से लेकर आपदा के दौरान सक्रियता के जरिये पूर्व सीएम हरीश रावत लगातार लोगों के बीच पहुंच रहे। इसके अलावा इंटरनेट मीडिया के जरिये विरोधियों को अपने अंदाज में रोजाना चुनौती देना भी नहीं भूल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस इसे अपनी चुनावी रणनीति भी मान रही है। उसका कहना है कि इसी वजह से हरदा को चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। बहरहाल यह भविष्य ही बताएगा कि यह पार्टी का फार्मूला कितना कारगर साबित हुआ।