
देवभूमि में पिछले दो साल से चर्चा के केंद्र में रहे उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम और इसके तहत गठित देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड की वापसी के निर्णय पर अब राजनीति गर्माने लगी है। कांग्रेस ने विजय सम्मान रैली में देवस्थानम के बहाने पर्वतांचल की भावनाओं को छूने का प्रयास किया। रैली में कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कांग्रेस के जोरदार विरोध के बाद ही प्रदेश सरकार को देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम के मामले में बैकफुट पर आना पड़ा।देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर चारधाम के तीर्थ पुरोहितों के विरोध को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इससे संबंधित अधिनियम को वापस लेने की घोषणा की थी। हाल में हुए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में यह अधिनियम निरस्त करने संबंधी विधेयक भी सरकार ने सदन से पारित कराया। आगामी विधानसभा चुनाव के दृष्टिकोण से इसे लेकर राजनीति भी होने लगी है।
कांग्रेस की विजय सम्मान रैली इससे अछूती नहीं रही। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत अन्य नेताओं ने मंच से इस अधिनियम की वापसी का श्रेय कांग्रेस को देने में देर नहीं लगाई। इसके माध्यम से कांग्रेस ने चार धाम के तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों के साथ ही पर्वतीय क्षेत्र का हितैषी दर्शाने का प्रयास किया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि तीर्थ पुरोहितों के साथ मिलकर कांग्रेस ने देवस्थानम बोर्ड के विरुद्ध अभूतपूर्व लड़ाई लड़ी और इसमें सफलता पाई।विजय सम्मान रैली में कांग्रेस ने देवभूमि की परंपरा और हिंदुत्व की भावना को भी उकेरने का प्रयास किया। रैली में पुरोहितों से पारंपरिक वेशभूषा में स्वस्ति वाचन कराया गया तो पर्वतीय अंचल के लोक कलाकारों के माध्यम से यहां की लोक विरासत के दर्शन कराए गए। इसके माध्यम से पार्टी ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि देवभूमि और हिंदुत्व पर किसी का एकाधिकार नहीं है।