
विजय संकल्प शंखनाद रैली के जरिए कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने और जनता के बीच माहौल बनाने का प्रयास किया है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने सधे अंदाज में सिलसिलेवार तरीके से हर वर्ग को साधने व उनकी भावनाओं को छूने प्रयास किया। पहाड़ और तराई को लेकर एक साथ निशाना साधने का प्रयास भी हरदा ने किया।हरदा ने शंखनाद रैली को किसान, मजदूर, नौजवान, महिला, आरक्षित वर्ग व कम मानदेय में कार्य कर रहे कर्मचारियों के जीवन में परिवर्तन लाने का संकल्प बताया। गरीबों के जीवन की लाठी बनने की बात कही। 21वीं सदी के आगे बढ़ते व फडफ़ड़ाते उत्तराखंड की बात कहकर युवाओं को साधने का प्रयास किया। बोले, पिछले वर्षों में जो खुशियां छीन ली गई हैं, उन्हें कांग्रेस लौटाएगी। इसके लिए उन्होंने गौरा देवी कन्या धन, नंदा देवी, दोहरी पेंशन योजना समेत महिलाओं के हित की 37 योजनाओं को फिर से शुरू करने का तर्क दिया।
महिला आर्थिक सशक्तीकरण को भूमिया और गोलज्यू देवता की तरह पूजने की बात, आंगनबाड़ी, आशा, भोजनमाताओं व गन्ना, मडुवा प्रोत्साहन का जिक्र लाकर तराई व पहाड़ को साधने की कोशिश की। आरक्षित वर्ग को साधने के लिए कहा, जिस दिन पिछड़े, कमजोर वर्ग की बात नहीं कहते हमें गांधीवादी पार्टी कहलाने का हक नहीं रह जाएगा। सितारगंज में अनुसूचित जाति के युवक से हुई कथित बदसलूकी के विरोध में सभी से एकजुट होने का आह्वान करना नहीं भूले।हरदा ने सीएम धामी की घोषणाओं पर भी तंज किया। बोले, सीएम कोरी घोषणाएं कर उछलकूद मचा रहे हैं। घोषणाओं के आदेश टाइप होते होते ही आचार संहिता प्रभावी हो जाएगी। सवाल उठाते हुए कहा, मुख्यमंत्री की दिलचस्पी जनकल्याणकारी योजनाओं में नहीं, बल्कि गाड़-गधेरों में बुलडोजर, पोकलैंड पहुंचाकर प्रदेश को बर्बाद व भाजपा के लोगों को मालामाल करने तक सीमित है।
कांग्रेस में वापसी करने वाले यशपाल आर्य ने श्रीराम के नाम से संबोधन शुरू करते हुए कहा श्रीराम हम सब के आराध्य हैं। हल्द्वानी का रामलीला मैदान प्रभु राम की गतिविधि का गढ़ रहा है। इसी मैदान से भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का शंखनाद कर रहे हैं। जैसे श्रीराम ने रावण का वध किया, इसी तरह भाजपा को पराजित करने का संकल्प लेकर सभी लोग जाएंगे। भाजपा के पास बताने के लिए विकास कार्य नहीं हैं। निकाय, पंचायत चुनाव तक पीएम मोदी के नाम पर लड़ा जाता है। आर्य ने कहा, भाजपा खुद कहती है कि उसे सरकार चलाना नहीं आता। हम भाजपा को विपक्ष में बैठा देंगे। भाजपा सरकार में अफसरशाही हावी है। अधिकारी मंत्री तक का फोन नहीं उठाते। कांग्रेस इस व्यवस्था को बदलने का संकल्प लेती है।