जापान के होक्काइडो और उत्तर-पूर्वी तटों पर सोमवार को 7.5 तीव्रता का भूकंप आया, जिसने सड़कों, बिजली घरों और कई मकानों को नुकसान पहुंचाया। हजारों लोगों का जनजीवन प्रभावित हुआ।
जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने उत्तरी तट के पास ‘ऑफ द कोस्ट ऑफ होक्काइडो एंड सैनरिकु सबसीक्वेंट अर्थक्वेक एडवाइजरी’ जारी की है। इसका मतलब है कि अगले सात दिनों तक 8 या उससे अधिक तीव्रता वाले भूकंप आने की संभावना सामान्य से अधिक है, हालांकि अभी संभावना कम मानी जा रही है।
भूकंप का केंद्र होक्काइडो और उत्तर-पूर्वी जापान के तटों से लगी खाई के पास था। यह क्षेत्र पैसिफिक प्लेट के होंशू मुख्य द्वीप के नीचे खिसकने से बड़े भूकंपों के लिए जाना जाता है।
भूकंप के बाद 3 मीटर तक ऊंची सुनामी लहरों की चेतावनी जारी की गई। इवाते प्रीफेक्चर में सबसे ऊंची लहरें 70 सेंटीमीटर तक पहुंची। जापान के प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने प्रभावित लोगों से अगले एक-दो सप्ताह तक अलर्ट रहने और आवश्यक आपातकालीन सामग्री तैयार रखने की अपील की।
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तरी जापान के पास आने वाला यह भूकंप उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में सुनामी और झटकों का खतरा पैदा कर सकता है। प्रभावित क्षेत्र में जापान, रूस का सुदूर पूर्व और संभवतः अलास्का शामिल हैं।
जापान पैसिफिक प्लेट के सबडक्शन ज़ोन पर स्थित है, जहां प्लेटें उत्तरी अमेरिकी और ओखोत्स्क प्लेटों के नीचे खिसकती हैं। इससे समय-समय पर मेगाथ्रस्ट भूकंप और विनाशकारी सुनामी आती रहती है।
इतिहास में सबसे गंभीर उदाहरण:
- 2011 में 9.0 तीव्रता का भूकंप
- इसके कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत
- फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र बुरी तरह क्षतिग्रस्त
- भारत पर कोई तत्काल खतरा नहीं
विशेषज्ञों के अनुसार, जापान का भूकंप भारत के तटों पर सुनामी या भूकंप का खतरा बढ़ाता नहीं है। भारत में सुनामी का मुख्य स्रोत सुंडा ट्रेंच और अरब सागर माने जाते हैं।
निष्कर्ष
- जापान में 7.5 तीव्रता का भूकंप और सुनामी की चेतावनी जारी।
- उत्तरी तट के पास अगले 7 दिनों तक भूकंप का खतरा सामान्य से अधिक।
- जनता और प्रशासन को सतर्क रहने और आपातकालीन तैयारी करने की हिदायत।
- भारत के तटों पर कोई तत्काल खतरा नहीं।
