मुंबई, 12 नवंबर: बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का करियर 1970 के दशक के शुरुआती वर्षों में कई फ्लॉप फिल्मों के कारण संकट में था। लगातार 11 असफल फिल्मों के बाद अमिताभ ने फिल्म और अभिनय की दुनिया छोड़ने का मन बना लिया था और इलाहाबाद लौटने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन तभी उनकी जिंदगी में आई वह फिल्म, जिसने उन्हें हिंदी सिनेमा का नया सुपरस्टार बना दिया — और वह फिल्म थी ‘जंजीर’ (1973)।
प्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनी ‘जंजीर’ एक एक्शन ड्रामा थी, जो उस समय 90 लाख रुपए की लागत में बनी थी और बॉक्स ऑफिस पर 17 करोड़ रुपए की कमाई की। इस फिल्म ने अमिताभ बच्चन को एंग्री यंग मैन के रूप में पेश किया और उन्हें इंडस्ट्री का बड़ा स्टार बना दिया।
दिलचस्प बात यह है कि ‘जंजीर’ अमिताभ से पहले उस दौर के चार बड़े स्टार्स—धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, राज कुमार और देव आनंद—को ऑफर की जा चुकी थी। इन सभी ने फिल्म ठुकरा दी। धर्मेंद्र ने परिवार की सलाह के कारण फिल्म नहीं की, जबकि अन्य सितारों को विजय के किरदार में कोई ना कोई कमी नजर आई।
‘जंजीर’ की कहानी सलीम-जावेद की जोड़ी ने लिखी थी। जब अमिताभ को फिल्म के लिए कास्ट किया गया, तब उनके पास कोई और फिल्म नहीं थी। उन्होंने तुरंत फिल्म के लिए हामी भर दी। फिल्म रिलीज होते ही दर्शकों की भीड़ सिनेमाघरों में उमड़ पड़ी और यह फिल्म कल्ट हिट बन गई।
‘जंजीर’ न केवल अमिताभ बच्चन की फिल्मी किस्मत पलटने वाली फिल्म साबित हुई, बल्कि हिंदी सिनेमा में उनका स्थायी स्टारडम स्थापित करने वाली फिल्म भी बन गई।
