
नई टिहरी।
गंगा दशहरे पर प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां सुरकंडा मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, उन्होंने मां के दर्शनकर पुण्य लाभ अर्जित किया। वहीं मां सुरकंडा ने भक्तों को सुख समृद्धि एवं मंगल कामना का आशीर्वाद दिया। इस मौके पर कद्दूखाल मेले में लोगों ने खरीदारी भी की।
सुरकुट पर्वत स्थित सिद्धपीठ मां सुरकंडा मंदिर में सुबह से ही भक्तों का आना शुरू हो गया था। मंदिर में विभिन्न जगहों से आए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। कतारों में खड़े होकर भक्तों ने अपनी बारी का इंतजार किया और फिर मां के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया। दिनभर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। सुबह तड़के सबसे पहले गंगाजल से मां की मूर्ति का स्नान कराया गया उसके बाद मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई फिर मां की मूर्ति को भोग लगाया गया। उसके बाद श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किए। सबसे पहले मां सुरकंडा की मैती जड़धार गांव के लोगों ने पंचायती जात्रा दी। फिर दिन में ढोल दमाऊ की थाप पर मां सुरकंडा की स्तुति की गई, देवी ने प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सुख समृद्धि और मंगल कामना का आशीर्वाद दिया। कुछ देर के लिए मंदिर परिसर मां के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ के कारण कद्दूखाल बाजार में जाम भी लगता रहा, जिससे लोगों को परेशानी भी हुई। गंगा दशहरा पर्व होने के कारण कद्दूखाल मेले में भी खूब भीड़ रही लोगों ने मेले में खरीदारी भी की। इससे पूर्व बुधवार रात्रि को नमस्कार सेवा संघ दिल्ली द्वारा कद्दूखाल में भगवती जागरण भी किया गया। जिसमें लोक गायक मुकेश कठैत, पदम गुसाईं आदि ने भजन और गीत गाकर लोगों का स्वस्थ मनोरंजन किया। मंदिर समिति के अध्यक्ष जितेंद्र नेगी ने बताया कि इस गंगा दशहरे पर्व पर मंदिर में सबसे अधिक श्रद्धालु पहुंचे उन्होंने कहा कि मंदिर समिति का पूरा प्रयास रहा कि श्रद्धालुओं को सुविधा प्रदान की जा सके। उन्होंने बताया कि अभी कुछ और दिनों मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलेगी। इस मौके पर समाजसेवी विजय जड़धारी, मंदिर समिति के प्रबंधक विनोद जड़धारी, पुजारी सोहनलाल लेखवार, जीत सिंह, सुखपाल सिंह, सुमेर सिंह, देव सिंह, कलम सिंह, आशीष नेगी आदि लोग मौजूद थे।
रोपवे के कारण मंदिर में बढ़ी श्रद्धालुओं की संख्या
सिद्धपीठ सुरकंडा मंदिर तक पहुंचने के लिए जब से रोपवे की सुविधा मिली है, तब से मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, मात्र दो-तीन दिन के अंदर एक लाख से अधिक श्रद्धालु मंदिर पहुंचे हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह रोपवे का होना है। पहले जब मंदिर पहुंचने का एकमात्र साधन पैदल मार्ग ही था उस समय बड़े बुजुर्ग या सारी रूप से अक्षम श्रद्धालु मंदिर नहीं पहुंच पाते थे, लेकिन अब रोपवे के कारण वह भी आसानी से मंदिर पहुंच रहे हैं। जिस कारण मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।