
हरदा और हरक। मार्च 2016 की बगावत के बाद से इन दोनों के बीच की बयानबाजी हमेशा सुर्खियों में रही। मगर हाल में वनमंत्री ने हरक सिंह रावत ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि हरीश रावत उनके बड़े भाई हैं। वह उनके सामने नतमस्तक हैं। इसके बाद से कड़वाहट कम होने और नजदीकियों की चर्चा शुरू हो गई। अब रामनगर के आपदाग्रस्त चुकुम गांव पहुंच पूर्व सीएम ने हरक से फोन पर बात कर कहा कि आपदा के वक्त तो सांप और नेवला भी एक साथ तैर जाते हैं। हम दोनों तो भाई हैं। इसलिए निवेदन और सलाह है कि प्रभावित इलाकों का दौरा करें। बकौल हरदा वनमंत्री ने इसके लिए हामी भी भर दी।पूर्व सीएम हरीश रावत रविवार को रामनगर के पास स्थित चुकुम और सुंदखाल गांव में आपदा के पीडि़तों से मिलने गए थे। दोनों गांव के विस्थापन को लेकर फाइल लंबे समय से अटकी हुई है। जिसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने ग्रामीणों के सामने वनमंत्री को फोन कर कहा कि मैंने सोचा दोनों भाईयों को मिला दूं। इसके बाद फोन पूर्व सीएम को थमा दिया। जिसके बाद अपने अंदाज में बात करते हुए कहा कि हम दोनों तो भाई हैं। आज हमारे लोगों पर बड़ी आपदा आई है।
जब हम एक जगह (एक पार्टी में) थे और यशपाल जी भी साथ थे। तब इन लोगों के विस्थापन को लेकर कागज चलाया था। लेकिन इस समय वन विभाग के पास फाइल रूकी हुई है। अगर कांग्रेस की सरकार रहते हम लोग कर जाते तो पुण्य भी हमें मिलता। लेकिन अब वनमंत्री होने की वजह से पुण्य कमाने की स्थिति में आप है। इसलिए जरा हाथ लगाईये। साथ ही चुकुम और सुंदरखाल के लोगों से मिलने पहुंचे। वहीं, दोनों के बीच हुई इस वार्ता को लेकर अब उत्तराखंड की राजनीति में भी तमाम चर्चाएं हो रही है।खुद बात करने के बाद हरदा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री से भी फोन पर हरक सिंह रावत की बात कराई। जिस पर यशपाल ने वनमंत्री से कहा कि आप कर सकते हैं क्योंकि आप में क्षमता भी हैं। यहां लोगों की स्थिति दयनीय है। जमीन तक बह गई। यशपाल ने कहा कि चुकुम व सुंदरखाल के निरीक्षण के दौरान मैं भी आपके साथ रहूंगा।पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस सरकार में दो गांव के विस्थापन का मामला कैबिनेट से पास करवा दिया था। लेकिन अब वन विभाग के पास फाइल अटकी है। वनमंत्री हरक सिंह रावत से यहां आकर जायजा लेने का अनुरोध किया तो उन्होंने आश्वासन भी दिया। इसके अलावा प्रमुख सचिव वन व चीफ कंजरवेटर से भी इस संबंध में मैंने बात की।