इस्लामाबाद / नई दिल्ली, 18 नवंबर 2025 — मई 2025 में भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर का असर पाकिस्तान पर अभी भी साफ नजर आ रहा है। विशेषज्ञों और ताज़ा सैटेलाइट इमेजरी की रिपोर्ट के मुताबिक, नूर खान एयरबेस सहित कई पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को हुए घाव अभी भर नहीं पाए हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारत ने कम से कम ग्यारह एयरबेसों को निशाना बनाया था।
नूर खान एयरबेस (रावलपिंडी / इस्लामाबाद के करीब) पर सैटेलाइट इमेजरी में रनवे और हैंगरों को गहरा नुकसान दिखा है।
जैकोबाबाद एयरबेस में हैंगरों की छत को चरणबद्ध तोड़ने की छवियाँ मिली हैं — संभव है कि मरम्मत शुरू करने से पहले आकलन किया गया हो। (OSINT विशेषज्ञ Damien Symon द्वारा रिपोर्ट)
अन्य एयरबेस जैसे रहीम यार खान, भोलारी, मुरिद, रफीकी, मुशफ, सियालकोट और सुकर सहित कई जगहों पर भी भारी infrastructural क्षति हुई है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने माना है कि नूर खान एयरबेस पर हमला हुआ था। उन्होंने बताया कि उन्हें 2:30 AM पर सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने जानकारी दी थी।
पाकिस्तान के डिप्टी प्रधानमंत्री इशक दर ने भी स्वीकार किया कि ऑपरेशन के तहत नूर खान और शॉर्कोट एयरबेस पर हमला किया गया था।
बाद में पाकिस्तान ने सीजफायर की मांग की थी।
नूर खान एयरबेस पर मरम्मत का काम अभी चल रहा है। OSINT विश्लेषकों के अनुसार, नई सुविधाओं के निर्माण के संकेत मिल रहे हैं।
जैकोबाबाद एयरबेस में भी हैंगरों की मरम्मत से पहले जांच और पुनर्निर्माण की तैयारी की जा रही है।
रहीम यार खान एयरबेस अभी भी बंद है — सैटेलाइट इमेज और रिपोर्ट में बताया गया है कि रनवे पर गहरे क्रेटर हैं और पुनः उपयोग के लिए समय चाहिए।
नूर खान एयरबेस पाकिस्तान की वायुसेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है — यह एयरबेस VIP परिवहन, ईंधन भरने (refuelling), लॉजिस्टिक्स और एयरबोर्न रडार सिस्टम को सपोर्ट करता है।
इस एयरबेस पर हुए हमले से पाकिस्तान की वायु शक्ति और रणनीतिक क्षमता पर बड़ा झटका माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने इन सटीक (precision) स्ट्राइक्स से पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं को न सिर्फ अस्थायी रूप से कमजोर किया है, बल्कि आने वाले समय में उसके पुनर्निर्माण में समय और संसाधन बर्बाद करने का दबाव बढ़ा दिया है।
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को भू-रणनीतिक और सैन्य स्तर पर एक बड़ा झटका दिया है। छह महीने से अधिक समय बीतने के बाद भी पाकिस्तान की वायु सेना अपनी कई क्षति-ग्रस्त सुविधाओं की पूरी तरह मरम्मत नहीं कर पाई है। इस लड़खड़ाती पुनर्निर्माण प्रक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि भारत का ये अभियान सिर्फ एक हमला नहीं था — बल्कि रणनीतिक रूप से सूचित कार्रवाई थी, जिसका असर अभी भी गहराई तक महसूस किया जा रहा है।
