नई दिल्ली।
राष्ट्रीय एकता दिवस और सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर, यह याद दिलाना आवश्यक है कि भारत की असली ताकत उसकी विविधता में निहित एकता में है। पटेल का दृष्टिकोण केवल राजनीतिक नहीं था; उन्होंने सामाज और संस्कृति में सामंजस्य की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारत की संस्कृति, त्यौहार, कला और संगीत राष्ट्रीय एकता के जीवंत उदाहरण हैं। दिवाली, ईद, ओणम जैसे त्यौहार न केवल आस्था को जोड़ते हैं, बल्कि सामाजिक और भूगोलिक सीमाओं को भी धुंधला करते हैं। पंजाबी धुनों से लेकर कर्नाटक के रागों तक, संगीत और कला हमारे विभिन्न सुरों को एक धुन में पिरोती हैं।
जमीनी स्तर पर महिलाएं इस एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे स्वयं सहायता समूह बनाती हैं, पंचायतों का नेतृत्व करती हैं और लोक परंपराओं का संरक्षण करती हैं। राजस्थान की सामाजिक कार्यकर्ता रूमा देवी के अनुसार, “महिलाएं हमारे नागरिक जीवन का नैतिक आधार हैं। वे समाज को बिखरने से बचाती हैं।”
सुरक्षा और शांति बनाए रखना भी एकता का अहम हिस्सा है। सीमा सुरक्षा बल और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) देश की शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखते हैं, जिससे नागरिकों का विश्वास और समाज में स्थिरता बनी रहती है।
अंततः, एकता केवल एक आदर्श नहीं है, बल्कि वह जीवन का तरीका है जो सभी नागरिकों को भिन्नता के बावजूद सम्मान और सहयोग के साथ जीने की अनुमति देती है। पटेल का संदेश आज भी हर गाँव, मोहल्ले और साझा भोजन में जीवित है।
