
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ही उत्तराखंड में भाजपा के मुख्य स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काट होंगे। राहुल ने उत्तराखंड में गुरुवार को अपनी दो जनसभाओं में मोदी को सीधे निशाने पर लेकर यही संदेश देने की कोशिश की। साथ में प्रदेश में पार्टी प्रत्याशियों, संगठन से लेकर बूथ कार्यकर्त्ताओं का हौसला यह भी कहकर बंधाया कि कांग्रेस पार्टी ही मोदी को टक्कर दे सकती है। प्रदेश के नेता जहां मोदी के मुकाबले को उत्तराखंडियत पर दांव खेल रहे हैं, राहुल ने अपने तेवरों से यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को भुनाने में पार्टी कसर नहीं छोड़ने वाली।प्रदेश में चुनाव की तारीख की घोषणा होने और कोरोना संक्रमण में सुधार के बाद राहुल गांधी गुरुवार को दूसरी बार उत्तराखंड आए। पिछले चुनाव में मोदी लहर के कारण मात्र 11 सीटों तक सिमट गई कांग्रेस अब हर सीट पर भाजपा को टक्कर देने को जी-तोड़ कोशिश कर रही है। उत्तराखंड की सत्ता के लिए प्रबल दावेदारी पेश कर रही कांग्रेस ने इस बार सावधानी से रणनीतिक व्यूह रचा है। राहुल ने अपने दूसरे दौरे में भी हरिद्वार जिले पर ध्यान दिया तो पहली बार पर्वतीय क्षेत्र का रुख भी किया।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि तकरीबन सभी 70 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों की ओर से मुख्य स्टार प्रचारक के रूप में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की मांग की गई है। राहुल के दौरे का सीधा लाभ पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी खत्म होने और बूथ स्तर तक कार्यकर्त्ताओं का मनोबल बढ़ने के रूप में प्रत्याशियों को मिल रहा है। प्रदेश में पार्टी संगठन से लेकर चुनाव प्रचार में गुटीय खींचतान बड़ी समस्या रही है। राहुल के दौरे से इस खींचतान को भी काबू किया जा सकता है।
कांग्रेस जिस तरह प्रदेशों में भी सिमट रही है, उसे देखते हुए पार्टी ने उत्तराखंड में सत्ता पाने को पूरी ताकत झोंक दी है। राज्य के लिए बनने वाली चुनावी कार्ययोजना में राहुल गांधी स्वयं रुचि ले रहे हैं। इसी का परिणाम है कि प्रियंका गाँधी भी उत्तराखंड पर अब काफी ध्यान दे रही हैं। कांग्रेस के लोकलुभावन घोषणापत्र को जारी करने के लिए प्रियंका देहरादून पहुंची। प्रियंका के आगे के कार्यक्रम भी तय किए जा रहे हैं।मोदी की काट के लिए राहुल कार्यकर्त्ताओं में भरोसा जगा रहे हैं। हरिद्वार जिले के मंगलौर और फिर अल्मोड़ा जिले के जागेश्वर विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाओं में राहुल कार्यकर्त्ताओं में उत्साह बढ़ाने में सफल रहे हैं। इसके लिए उन्होंने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के साथ ही पार्टी की चुनावी घोषणाओं के माध्यम से प्रदेशवासियों को रिझाने का दांव भी खेला है।