नई दिल्ली: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) में सूचना आयुक्तों की नियुक्तियों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों में SC, ST, OBC, EBC और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधित्व की कमी को लेकर चिंता जताई। राहुल गांधी ने कहा कि संवैधानिक और स्वायत्त संस्थाओं में इन समुदायों को जानबूझकर बाहर रखने का एक व्यवस्थित पैटर्न चल रहा है।
हालांकि, सरकारी सूत्रों ने राहुल गांधी के दावों को खारिज करते हुए कहा कि यह तथ्य के विपरीत है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, CIC की स्थापना 2005 में हुई थी, लेकिन 2005–2014 तक UPA सरकार के कार्यकाल में SC/ST समुदाय से किसी व्यक्ति को आयोग का सदस्य या अध्यक्ष नहीं बनाया गया। NDA सरकार ने 2018 में सुरेश चंद्रा (ST), 2020 में हीरालाल समरिया और 2023 में SC समुदाय से पहले मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) की नियुक्ति की।
बुधवार को हुई बैठक में 8 रिक्तियों के लिए विचार किया गया, जिसमें एक SC, एक ST, एक OBC, एक अल्पसंख्यक और एक महिला की सिफारिश की गई। कुल मिलाकर 8 में से 5 नाम वंचित समुदायों से थे।
राहुल गांधी के करीबी सूत्रों ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से CIC, 8 IC और CVC में नियुक्तियों के दौरान दलित, आदिवासी, OBC/EBC और अल्पसंख्यक समुदायों को बाहर किए जाने का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। इसके बाद, सरकार ने कुछ नियुक्तियों पर पुनर्विचार करने की सहमति जताई।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि उम्मीदवारों की जातिगत संरचना को देखते हुए राहुल गांधी के दावे वास्तविकता से मेल नहीं खाते। फिर भी, नेता प्रतिपक्ष के विरोध को ध्यान में रखते हुए समिति अब आगे की नियुक्तियों पर विचार करेगी।
