
भोपाल, 14 अक्टूबर 2025 —
छिंदवाड़ा ज़िले में कई मासूम बच्चों की संदिग्ध मौतों ने देश को झकझोर दिया है। प्राथमिक जांच में सामने आया कि इन बच्चों को खांसी से राहत दिलाने के लिए जो सिरप दी गई थी, वह जहरीली थी। इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत के तीन कफ सिरप को “जहरीला और मानक से नीचे” बताते हुए वैश्विक अलर्ट जारी कर दिया है।
तीन खतरनाक सिरप, जिनसे बच्चों की ज़िंदगियाँ छीनी गईं:
Coldrif – निर्माता: Sresan Pharmaceuticals
Respifresh TR – निर्माता: Rednex Pharmaceuticals
ReLife – निर्माता: Shape Pharma
इन सिरप्स में पाया गया है कि उनमें Diethylene Glycol (DEG) और Ethylene Glycol (EG) जैसे रसायनों की मौजूदगी है — जो मानव शरीर, विशेषकर बच्चों के लिए, बेहद खतरनाक हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि DEG एक ऐसा रसायन है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर ब्रेक फ्लूड और एंटीफ्रीज़ में होता है, और शरीर में जाने पर यह किडनी फेलियर, उल्टी, और मौत तक का कारण बन सकता है।
छिंदवाड़ा के कई गांवों में मातम पसरा है। एक ही मोहल्ले में तीन बच्चों की मौत के बाद लोग सदमे में हैं। एक माँ, जिसकी 2 वर्षीय बच्ची अब इस दुनिया में नहीं रही, रोते हुए कहती हैं,
“बेटी को बस हल्की खांसी थी… डॉक्टर ने दवाई दी, सोचा आराम मिल जाएगा… हमें क्या पता था, वो आखिरी रात थी।”
सरकारी रिपोर्टों के मुताबिक अब तक 22 बच्चों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, और यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है।
WHO ने भारत में निर्मित इन कफ सिरप्स को लेकर पूरी दुनिया को सचेत किया है। अलर्ट में स्पष्ट किया गया कि:
- ये दवाइयाँ मानक गुणवत्ता पर खरी नहीं उतरतीं
- इनमें विषैले रसायनों की मात्रा बेहद अधिक है
- यदि कोई देश इन सिरप्स को अपने बाज़ार में देखे तो तुरंत WHO को रिपोर्ट करे
- WHO ने यह भी कहा कि इन दवाओं की आपातकालीन वापसी (recall) आवश्यक है।
भारत सरकार और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने भी तुरंत हरकत में आते हुए इन तीन सिरप्स की तत्काल बिक्री पर रोक, उत्पादन लाइसेंस निलंबन, और जांच के आदेश दिए हैं।
सरकार ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है कि:
- 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों को बिना चिकित्सकीय परामर्श कोई सिरप न दिया जाए
- किसी भी संदिग्ध दवा की सूचना तत्काल स्वास्थ्य विभाग को दी जाए
एक बार फिर भारत की कुछ फार्मा कंपनियों पर सवाल उठने लगे हैं। यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी भारतीय सिरप पर अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने उंगली उठाई हो। इससे पहले भी गाम्बिया और उज्बेकिस्तान जैसे देशों में भारतीय दवाओं से बच्चों की मौत की घटनाएं हो चुकी हैं।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या भारत में दवा कंपनियों पर पर्याप्त निगरानी है?
क्या ग्रामीण क्षेत्रों में बिकने वाली दवाओं की गुणवत्ता पर सही निगरानी रखी जाती है?
इस दुखद घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि दवाइयों में गुणवत्ता और सुरक्षा सबसे जरूरी है। माता-पिता को चाहिए कि:
- कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को दवा न दें
- लोकल, बिना पंजीकरण वाली या सस्ती दवाओं से बचें
- किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
बच्चों की ये मौतें न सिर्फ एक चिकित्सा गलती हैं, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी हैं। ज़रूरत है कि स्वास्थ्य व्यवस्थाएं जवाबदेह हों, और दवा निर्माण से लेकर वितरण तक, हर स्तर पर पारदर्शिता और सख्ती हो।
देश की भावी पीढ़ी को बचाना है, तो सबसे पहले ज़िम्मेदार दवा प्रणाली बनानी होगी।