
गाजा/तेल अवीव/नई दिल्ली।
कभी बमों की आवाज़ से कांपते गाजा के आसमान में अब शांति की सांस सुनाई देने लगी है। हमास ने सोमवार को 20 इजरायली बंधकों को रिहा कर दिया, जिससे युद्ध के घावों पर एक छोटी मगर जरूरी मरहम लग सकी। इस ऐतिहासिक घटनाक्रम में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा युद्ध के अंत की घोषणा की और इसे मध्य-पूर्व में स्थायी शांति की शुरुआत बताया।
जिन्हें कभी ज़िंदा देखने की उम्मीद भी धुंधली हो चली थी, वो 20 बंधक जब अपने परिवारों से मिले, तो दृश्य भावुक कर देने वाला था। कुछ बच्चों ने भागकर अपने माता-पिता को गले लगाया, तो कहीं बुजुर्गों ने बंधनों से लौटे बेटों को सीने से चिपका लिया।
तेल अवीव के ‘होस्टेज स्क्वेयर’ पर रातभर रोशनी और जश्न का माहौल रहा, लेकिन उस खुशी के पीछे महीनों की बेचैनी, दर्द और पीड़ा की छाया साफ महसूस की जा सकती थी।
जब एयरफोर्स वन ने तेल अवीव में लैंड किया, तब तक बंधकों की रिहाई की खबर चारों तरफ फैल चुकी थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तुरंत प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात की और बाद में इजरायली संसद नेसेट को संबोधित करते हुए कहा:
“यह सिर्फ एक युद्ध का अंत नहीं है, यह एक नई सोच, नई उम्मीद और नए युग की शुरुआत है। अब हमारे हथियार नहीं, हमारे शब्द बोलेंगे। हमारी गोलियों की जगह अब बातचीत लेगी।”
इस शांति पहल के तहत इजरायल ने भी करीब 2,000 फलस्तीनी कैदियों की रिहाई शुरू कर दी है। रिहा हुए बंधकों को गाजा के समीप रेईम सैन्य अड्डे पर लाया गया, जहां उनका मेडिकल परीक्षण हुआ। कई बंधकों ने जनता की ओर हाथ हिलाकर आभार जताया।
हालांकि 28 मृत बंधकों के शव अभी भी हमास के पास हैं, जिनमें से दो के युद्ध में पूरी तरह नष्ट हो जाने की आशंका है।
7 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुए इस भीषण संघर्ष में हमास ने 1,200 लोगों की हत्या की थी और 251 को बंधक बना लिया था। जवाब में इजरायल ने गाजा पर जबरदस्त हमला किया, जिसमें अब तक 67,000 से ज्यादा फलस्तीनी मारे गए हैं।
गाजा पट्टी की 80% इमारतें या तो नष्ट हो चुकी हैं या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। करीब 90% आबादी बेघर हो चुकी है। अब वहां मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण सबसे बड़ी चुनौती है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप की भूमिका की सराहना करते हुए इस रिहाई को साहस और कूटनीति की जीत बताया। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“हम दो साल से अधिक समय तक बंधक बनाए गए सभी बंधकों की रिहाई का स्वागत करते हैं। यह रिहाई राष्ट्रपति ट्रंप के अथक प्रयासों और नेतन्याहू के संकल्प का प्रतीक है। भारत इस दिशा में हर प्रयास का समर्थन करता रहेगा।”
इजरायली संसद के स्पीकर आमिर ओहाना ने राष्ट्रपति ट्रंप को 2026 का नोबेल शांति पुरस्कार देने का प्रस्ताव रखा है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ट्रंप को “इजरायल का सबसे विश्वसनीय और मजबूत मित्र” करार दिया।
यह युद्ध भले ही थम गया हो, लेकिन इसके दर्दनाक निशान गाजा और इजरायल—दोनों के दिलों पर गहरे हैं। बंधकों की वापसी और कैदियों की रिहाई एक जरूरी पहल है, लेकिन शांति तब ही टिकेगी जब सभी पक्षों के बच्चों को युद्ध की नहीं, शिक्षा और सुरक्षित भविष्य की गारंटी मिलेगी।
यह सिर्फ एक कूटनीतिक जीत नहीं, बल्कि इंसानियत की तरफ उठाया गया एक साहसी कदम है। अब देखना यह है कि यह कदम आगे कितनी दूर तक शांति की डगर बना पाता है।