
देहरादून।
शुक्रवार की सुबह सचिवालय में हलचल थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बैठकों का दौर चल रहा था। फाइलों के ढेर पर कुछ बेहद अहम दस्तावेज थे — जिनमें न केवल आंकड़े थे, बल्कि उन लाखों लोगों की उम्मीदें दर्ज थीं जो गांवों, कस्बों, और पहाड़ों में बेहतर जीवन की ओर देख रहे हैं।
उसी दिन मुख्यमंत्री ने एक के बाद एक कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जो राज्य के हर कोने को छूने वाले हैं।
मुख्यमंत्री ने पंचम राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियों पर आगे बढ़ते हुए गांव से लेकर शहर तक की निकायों को कुल ₹697.5 करोड़ की राशि स्वीकृत की।
ग्राम और क्षेत्र पंचायतों, जिला पंचायतों, और शहरी निकायों को यह धनराशि विकास कार्यों, जल व्यवस्था, सफाई और मूलभूत सेवाओं के लिए मिलेगी।
यह उन पंचायत सचिवों के लिए राहत की खबर थी, जो महीनों से नल लाइन सुधार, सड़क मरम्मत और स्कूलों की छतें ठीक करने के प्रस्ताव भेज रहे थे।
मुख्यमंत्री ने यह भी माना कि इस बार मानसून ने कई जिलों में भय पैदा किया है। हरिद्वार और उत्तरकाशी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के लिए उन्होंने:
- हरिद्वार को ₹1 करोड़
- उत्तरकाशी (धराली, स्यानाचट्टी आदि क्षेत्रों) को ₹3 करोड़
- पौड़ी के यमकेश्वर ब्लॉक में बाढ़ नियंत्रण कार्य हेतु ₹2.58 करोड़
- की विशेष आपदा राहत राशि स्वीकृत की।
इन निर्णयों से उन गांववासियों को सुरक्षा मिलेगी, जो हर बारिश के बाद घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर भागने को मजबूर होते थे।
पौड़ी जिले के श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए तो यह दिन खास रहा — मुख्यमंत्री ने 4 पुराने पुलों के उच्चीकरण और एक नई सड़क के निर्माण के लिए ₹18.23 लाख स्वीकृत किए।
ग्रामीण क्षेत्रों से जिला मुख्यालय तक पहुंचने का रास्ता अब बेहतर होगा। मरीजों को अस्पताल और छात्रों को स्कूल जाना आसान होगा।
प्राकृतिक आपदाओं में तैनात JCB और मलबा हटाने वाली मशीनों के लिए बार-बार बिल अटकते थे। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री ने सीधे 13 जिलों को ₹2-2 करोड़ (कुल ₹26 करोड़) देने का आदेश दिया, ताकि कोई देरी न हो और राहत कार्य समय पर हों।
राज्य की सांस्कृतिक आत्मा को मजबूत करते हुए मुख्यमंत्री ने पिथौरागढ़ स्थित ऐतिहासिक ‘लंदन फोर्ट’ का नाम बदलकर ‘सोरगढ़ किला’ किए जाने की घोषणा की।
यह केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि राज्य की अस्मिता और स्वाभिमान की वापसी का प्रतीक है।
“हमारी योजनाएं सिर्फ कागजों में नहीं, ज़मीन पर असर दिखाएंगी।”
जहां एक ओर पंचायतों को आर्थिक ताकत दी जा रही है, वहीं आपदा प्रबंधन को तेज़, सड़कें मजबूत और सांस्कृतिक विरासत को स्थानीय पहचान दी जा रही है।