
विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत ऊर्जा के तीनों निगमों के कार्मिक हड़ताल पर अडिग हैं। उन्होंने निगम प्रबंधन और शासन पर ऊर्जा मंत्री और कर्मचारियों को गुमराह करने का आरोप लगाया। साथ ही चेतावनी दी कि यदि किसी कर्मचारी का उत्पीड़न किया गया तो हड़ताल तत्काल शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने जायज मांगों पर कार्रवाई न किए जाने तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया है।रविवार को उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की माजरा स्थित पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन कार्यालय में बैठक हुई। जिसमें आल इंडिया फेडरेशन आफ इलेक्टिसिटी एंप्लाइज और आल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे भी शामिल हुए। कार्मिकों ने उनका पुष्पमाला के साथ स्वागत किया। बैठक की अध्यक्षता हाइड्रोइलेक्टिक एंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष केहर सिंह व संचालन मोर्चा संयोजक इंसारूल हक ने किया।
मोर्चा के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत से मांगों का संज्ञान लेकर कार्रवाई की अपील की। कहा कि ऊर्जा कार्मिकों के साथ वर्ष 2017 से अब तक हुए सभी समझौतों के सम्मान और इलेक्टिसिटी एक्ट-2003 के तहत बिजली कर्मचारियों की को 9-14-19 वर्ष में एसीपी की व्यवस्था तत्काल फिर से शुरू की जाए। पदाधिकारियों ने ऊर्जा निगमों के प्रबंधन पर गलत बयानबाजी करने का आरोप लगाया है। साथ ही शासन और निगम प्रबंधन के बीच समन्वय की कमी के कारण ऊर्जा मंत्री को भी अंधेरे में रखे जाने का आरोप लगाया है। कर्मचारियों की 14 सूत्रीय समस्याओं में कोई भी नई मांग नहीं है, यह वही सुविधाएं हैं जो पूर्ववर्ती उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के समय से मिल रही थीं।बैठक के बाद पत्रकारों से रूबरू हुए आल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि पूरे देश के करीब 15 लाख बिजली कर्मचारी उत्तराखंड के बिजली कर्मचारियों के समर्थन में खड़े हैं। साथ ही जिन राज्यों को शासन की ओर से कर्मचारियों को ड्यूटी के लिए भेजने को पत्र लिखे गए थे, उनमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल व हरियाणा के कर्मचारी संगठनों ने उत्तराखंड में ड्यूटी करने से मना कर दिया है।