
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय फिर चर्चाओं में है। कुलपति और शासन के बीच तनातनी चरम पर है। शासन के आदेश विश्वविद्यालय पहुंचते ही हवा हो रहे हैं। उन्हें लागू नहीं किया जा रहा है।बार-बार आदेशों का पालन नहीं होने से परेशान होकर सरकार ने कुलपति से स्पष्टीकरण तलब कर लिया है। विश्वविद्यालय में स्नातक व स्नातकोत्तर कक्षाओं में प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है।इस संबंध में गठित काउंसिलिंग बोर्ड में शासन का वैध प्रतिनिधि नामित नहीं है। इसी वैध और अवैध प्रतिनिधि के खेल में विश्वविद्यालय फंसकर रह गया है। काउंसिलिंग बोर्ड का सदस्य सचिव कुलसचिव होता है।
कुलसचिव मृत्युंजय कुमार मिश्रा का निलंबन समाप्त कर सरकार उन्हें बहाल कर चुकी है, लेकिन कुलपति ने अब तक कार्यभार ग्रहण नहीं कराया है। परिणाम स्वरूप उन्हें सचिवालय में आयुष सचिव के साथ संबद्ध किया गया। विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलसचिव की तैनाती को लेकर शासन को पापड़ बेलने पड़ रहे हैं।आयुर्वेद विश्वविद्यालय के बहाने सरकार ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। 2017 से लेकर 2022 तक विश्वविद्यालयों में नियुक्तियों, वित्तीय अनियमितता को लेकर जांच बैठाई गई है।जांच के निशाने पर सिर्फ कुलपति ही नहीं हैं, बल्कि पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी हैं। रावत पिछली भाजपा सरकार में आयुष शिक्षा विभाग के मंत्री थे। बतौर मंत्री विश्वविद्यालय के कामकाज में उनका बड़ा हस्तक्षेप देखा जाता रहा है।
रावत चुनाव से पहले भाजपा को बाय-बाय कर कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। पूर्व मंत्री ने जिस भाजपा को डूबता हुआ जहाज समझकर छोड़ दिया था, वह अब दो तिहाई बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में है।विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की परतें जितना उधड़ेंगी, हरक पर शिकंजा कसने का उतना ही अवसर मिलेगा। साथ में शासन के आदेशों की नाफरमानी कर रहे कुलपति को भी निशाने पर लिया जा सकेगा। फिलहाल जांच समिति की रिपोर्ट का इंतजार है।
उत्तराखंड ने केंद्र सरकार से 35 केंद्रीय विद्यालय और नौ सैनिक स्कूल मांगे हैं। बीते दिनों प्रदेश के दौरे पर आए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को राज्य सरकार की ओर से 10 सूत्रीय एजेंडा सौंपा गया, उसमें यह भी प्रमुख मांग रही है।अब इसके लिए राज्य को भी ठोस तैयारी करनी होगी। प्रदेश में रुद्रप्रयाग जिले के जखोली में लंबे समय से सैनिक स्कूल खोलने की मांग की जा रही है। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से कई बार प्रस्ताव केंद्र को भेजे गए, लेकिन इसे अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
नए स्कूलों की मांग करने से पहले यह भी आवश्यक है कि इसे लेकर होमवर्क किया जाए। जखोली में सैनिक स्कूल के लिए राज्य की ओर से की जाने वाली आवश्यक व्यवस्था अभी तक बन नहीं पाई है। एक से अधिक स्कूलों के सपने को हकीकत बनाने के लिए मेहनत करनी होगी।