
उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में इस बार सर्दी ने समय से पहले ही दस्तक दे दी है। केदारनाथ, बदरीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे तीर्थ क्षेत्रों में अक्टूबर की शुरुआत में ही भारी बर्फबारी दर्ज की गई है। मौसम विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस बार सर्दी का दौर लंबा और तीव्र रहेगा, जिसका मुख्य कारण ला नीना प्रभाव है।
केदारनाथ घाटी में सोमवार दोपहर से बर्फबारी का दौर शुरू हुआ, जो मंगलवार को भी जारी रहा। इस दौरान तापमान में 5 डिग्री सेल्सियस तक गिरावट दर्ज की गई। वहीं बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब में भी मौसम ने करवट ली और सीजन की पहली बर्फबारी हुई, जिससे इलाके में कड़ाके की ठंड महसूस की जा रही है।
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून ने 6 और 7 अक्टूबर के लिए ऊंचाई वाले जिलों में बारिश और बर्फबारी की चेतावनी जारी की थी, जो सटीक साबित हुई। विभाग ने अगले 48 घंटे के लिए भी अलर्ट जारी किया है और लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. ए.एस. नैन ने बताया कि इस बार ठंड का असर दिसंबर से और अधिक स्पष्ट रूप से दिखेगा। उन्होंने कहा, “ला नीना इफेक्ट के कारण इस साल सर्दी का समय लंबा होगा और मार्च 2026 तक बसंत ऋतु का आगमन संभव नहीं होगा।”
इस बदलाव का असर खेती, बागवानी, पर्यटन और परिवहन पर पड़ सकता है। खासकर पहाड़ी जिलों में लंबे समय तक बर्फबारी और पाला पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
केदारनाथ धाम में इन दिनों चारधाम यात्रा के अंतिम चरण में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। बर्फबारी के बावजूद बाबा केदार के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी गईं। प्रशासन ने ठंड से बचाव के लिए अलाव, प्राथमिक चिकित्सा और गर्म जल की व्यवस्था की है।
अब तक के आंकड़ों के अनुसार, 16.45 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं। धाम में प्रतिदिन लगभग 10,000 यात्री पहुंच रहे हैं।
कपाट बंद होने की तिथियाँ घोषित
- गंगोत्री धाम – 22 अक्टूबर
- केदारनाथ व यमुनोत्री धाम – 23 अक्टूबर (भैयादूज)
- बदरीनाथ धाम – 25 नवंबर
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने यात्रियों से अपील की है कि वे यात्रा पर निकलते समय गर्म कपड़े, जरूरी दवाइयाँ और यात्रा संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करें। उन्होंने कहा कि मौसम की परिस्थिति को देखते हुए जरूरत पड़ने पर मार्ग बंद भी किए जा सकते हैं।