
ओडिशा के बालासोर जिले की एक छात्रा की मौत ने पूरे राज्य की राजनीति में सियासी भूचाल ला दिया है. कॉलेज में पढ़ाने वाले एक शिक्षक के यौन उत्पीड़न से आहत होकर छात्रा ने खुद को आग लगा ली थी. जिसके बाद जिंदगी से जंग लड़ते हुए उसने दम तोड़ दिया. छात्रा की मौत के साथ ही ओडिशा की सत्ता की गलियों में सवालों की गूंज तेज हो गई है. विपक्ष इसे सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि ‘सिस्टम की हत्या’ करार दे रहा है. कांग्रेस, बीजद और अन्य विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है. विपक्ष का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने छात्रा की गुहार सुनी होती तो उसकी जान बचाई जा सकती थी. छात्रा के पिता सरकार से मुआवजे की नहीं, बल्कि अपनी बेटी के लिए इंसाफ की मांग रहे हैं. इस पूरे मामले ने न केवल राज्य में महिला सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि एक बार फिर यह भी साबित किया है कि हमारी संस्थागत संवेदनशीलता कितनी खोखली है.
क्या है मामला
एक शिक्षक द्वारा‘‘यौन उत्पीड़न” किए जाने के मामले में लड़की को न्याय नहीं मिल रहा था उसकी तमाम शिकायतों को अनसुना कर दिया गया जिसके बाद सिस्टम से तंग आकर लड़की ने खुद को आग लगा ली. आग लगाने वाली छात्रा ने 3 दिन तक जिंदगी और मौत से लड़ने के बाद भुवनेश्वर एम्स में सोमवार रात दम तोड़ दिया. वह बालासोर के फकीर मोहन (स्वायत्त) महाविद्यालय में बीएड की द्वितीय वर्ष की छात्रा थी. शिक्षक के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से आहत छात्रा ने शनिवार को यह कदम उठाया और वह 95 प्रतिशत तक झुलस गई थी. छात्रा का शव मंगलवार को ओडिशा के बालासोर जिले में उसके पैतृक गांव लाया गया. उसके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए हजारों की संख्या में लोग श्मशान घाट पहुंचे. बालासोर के सांसद प्रताप सारंगी, जिले के अधिकारी और अन्य लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए. छात्रा के शव का अंतिम संस्कार उसके परिवार और अन्य ग्रामीणों की मौजूदगी में किया गया.