
नेपाल में हाल ही में हुई राजनीतिक उठापटक ने क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ा दी है। देश की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है, जिससे राजनीतिक अस्थिरता के बीच एक संवैधानिक संतुलन की उम्मीद जगी है। काठमांडू और आसपास के इलाकों में बीते कुछ दिनों से प्रदर्शन और विरोध-प्रदर्शनों का माहौल बना हुआ है।
भारत, जो नेपाल का सबसे करीबी पड़ोसी और साझेदार रहा है, ने साफ किया है कि वह स्थिति पर बारीकी से नजर रखे हुए है और किसी भी संभावित चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। भारत और नेपाल के बीच का रिश्ता महज़ दो देशों का नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों, दो परिवारों और दो सभ्यताओं का है — जो एक-दूसरे से भावनात्मक रूप से गहराई तक जुड़े हुए हैं।
भारत और नेपाल के बीच 1,751 किलोमीटर की खुली सीमा है, जहां न कोई पासपोर्ट चाहिए, न वीजा। यह कोई सामान्य सीमा रेखा नहीं, बल्कि रिश्तों की रेखा है — जहां हर दिन हजारों लोग एक-दूसरे के यहां आते-जाते हैं, शादी-ब्याह होते हैं, व्यापार होता है और भावनाएं बंटती हैं।
हर साल हजारों नेपाली भारत में रोज़गार के लिए आते हैं, और लाखों भारतीय तीर्थयात्री नेपाल के पवित्र स्थलों — जैसे पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ, जनकपुर — की यात्रा करते हैं। यह रिश्ता कूटनीति या व्यापार से कहीं आगे जाता है।
नेपाल की तेल, गैस और बिजली की जरूरतों का बड़ा हिस्सा भारत पूरा करता है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन नेपाल को तेल सप्लाई करती है, वहीं भारत सस्ती दरों पर बिजली भी भेजता है। नेपाल में टैक्स कम होने के कारण वहां तेल की कीमतें भारत से कम हैं, लेकिन इसकी बुनियाद भारत की आपूर्ति व्यवस्था पर टिकी है।
राजनीतिक उथल-पुथल से लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट रूट्स पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। रक्सौल-बीरगंज, सोनौली-भैरहवा जैसे बॉर्डर पॉइंट्स से भारत का अधिकतर सामान सड़क के रास्ते नेपाल जाता है। अगर हालात और बिगड़ते हैं, तो इन रास्तों पर व्यवधान आ सकता है।
2024 में भारत ने नेपाल को 7 अरब डॉलर से अधिक का एक्सपोर्ट किया, जबकि नेपाल से केवल 0.83 अरब डॉलर का आयात किया गया। यह ट्रेड सरप्लस भारत के लिए फायदे की बात हो सकती है, लेकिन इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है नेपाल की निर्भरता — खासकर दवाइयों, पेट्रोल, खाद्य सामग्री और मशीनों के लिए।
नेपाल से भारत में जूट, स्टील फाइबर, कॉफी-चाय, मसाले, लकड़ी और वनस्पति तेल आता है। भारत की कई बड़ी कंपनियां — जैसे डाबर, यूनिलीवर, आईटीसी और ब्रिटानिया — नेपाल में उत्पादन करती हैं और वहां के हजारों लोगों को रोजगार भी देती हैं। नेपाल में भले ही सरकारें बदलें, राजनीतिक समीकरण बदलें, लेकिन भारत और नेपाल के लोगों के बीच जो आत्मीयता है, वह बरकरार रहती है। यह रिश्ता संविधान के अनुच्छेदों से नहीं, बल्कि दिल से चलता है।
सरकारी अधिकारी भी मानते हैं कि व्यापारिक संबंधों को सुरक्षित रखना जरूरी है। भारत सरकार एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल्स के संपर्क में है और स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।